विदेशी छात्रों और शिक्षकों की कमी से रैंकिंग में पिछड़े भारतीय संस्थान
सिलीकन वैली को कई कामयाब सीईओ और उद्योगपति देने वाले भारतीय संस्थान विश्व रैंकिंग में लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। हाल ही में जारी टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) वर्ल्ड यूनिवर्सिर्टी रैंकिंग 2018 में भारत का कोई भी संस्थान शीर्ष 200 की सूची में नहीं है। विशेषज्ञ इसकी कई वजह मानते हैं, जिनमें विदेशी विद्यार्थियों और शिक्षकों की कमी के साथ कम छात्र-शिक्षक अनुपात शामिल है। आइआइटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर वी रामगोपाल राव के मुताबिक संस्थानों को कई मानदंडों के आधार पर विश्व रैंकिंग दी जाती है। इसमें से एक है, रिसर्च आउटपुट। प्रोफेसर राव का कहना है कि आइआइटी दिल्ली या देश अन्य पुराने आइआइटी इस मामले में अमेरिका के उन संस्थानों के बराबर खड़े होते हैं जिनकी रैंकिंग 40 से 50 के बीच है। उन्होंने बताया कि भारत के संस्थानों के शिक्षक अमेरिकी संस्थानों के शिक्षकों के मुकाबले अधिक शोध पत्र लिखते हैं। इसके अलावा हमारे संस्थानों में सिर्फ शोध पत्र लिखे ही नहीं जाते हैं बल्कि उनके प्रभाव भी लोगों का दिखाई देता है। हमारे शोध का उल्लेख दुनिया के 40 से 50 रैंकिंग वाले संस्थानों के बराबर ही होता है।
अगर आइआइटी दिल्ली और बाम्बे की बात करें तो हमारे यहां सिर्फ एक फीसद ही विदेश छात्र हैं। भारतीय छात्र भी हमारे यहां कड़ी परीक्षा देकर ही पहुंचते हैं और इस दौरान 99 फीसद छात्रों को दाखिला नहीं मिल पाता है। जब हम अपने ही 99 फीसद बच्चों को दाखिला नहीं दे पा रहे हैं तो ऐसे में विदेशी छात्रों को दाखिला देने का कोई औचित्य नहीं बनता है। लोगों के धन से चलने वाले इन संस्थानों की प्राथमिकता देश के लोगों की सेवा ही होनी चाहिए। इसीलिए हमारा लक्ष्य कभी विदेशी छात्रों को प्रवेश देने और विदेशी शिक्षकों को नौकरी देने का नहीं रहा। आइआइटी वैश्विक संस्थान बनने के लिए नहीं हैं।
भारतीय संस्थानों की रैंकिंग
संस्थान रैंकिंग (2018) रैंकिंग (2017)
भारतीय विज्ञान संस्थान 251-300 201-250
आइआइटी बाम्बे 351-400 351-400
आइआइटी दिल्ली 501-600 401-500
आइआइटी कानपुर 501-600 401-500
आइआइटी खड़गपुर 501-600 501-600
आइआइटी रुड़की 501-600 501-600
आइआइटी गुवाहाटी 601-800 601-800
आइआटी मद्रास 601-800 401-500