ICC: नेतन्याहू-हमास चीफ की गिरफ्तारी के लिए वारंट की मांग, मुख्य अभियोजक ने ठहराया नरसंहार का जिम्मेदार,

इस्राइल अदालत का सदस्य नहीं है और गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद नेतन्याहू और गैलेंट को वर्तमान में तो कोई खतरा नहीं है। हालांकि, खान की मांग से इस्राइली नेताओं को विदेश यात्रा के लिए समस्या आ सकती है।

इस्राइल और हमास के बीच सात महीने से लगातार युद्ध जारी है। इस बीच अतंरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के मुख्य अभियोजक ने सोमवार को इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सहित इस्राइल और हमास के नेताओं की गिरफ्तारी के लिए वारंट की मांग की। अभियोजक करीम खान ने कहा कि उनका मानना है कि नेतन्याहू, उनके रक्षा मंत्री योव गैलेंट और तीन हमास नेता- याहया सिनवार, मोहम्मद देइफ और इस्माइल हानियेह गाजा पट्टी और इस्राइल में युद्ध के लिए जिम्मेदार हैं। 

इस्राइली नेताओं को विदेश यात्रा पर खतरा 
इस्राइल अदालत का सदस्य नहीं है और गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद नेतन्याहू और गैलेंट को वर्तमान में तो कोई खतरा नहीं है। हालांकि, खान की मांग से इस्राइली नेताओं को विदेश यात्रा के लिए समस्या आ सकती है। सूत्रों की मानें तो सिनवार और देइफ दोनों गाजा में छिपे हुए हैं। वहीं, आतंकी समूह का सर्वोच्च नेता हानियेह कतर में छिपा हुआ है और वह क्षेत्र की यात्रा करता रहता है। इस्राइल तीनों को मारने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। 

इस्राइल के पूर्व सैन्य प्रमुख ने की निंदा
पूर्व सैन्य प्रमुख और युद्ध मंत्रिमंडल के सदस्य बेनी गैंट्ज ने खान की मांग की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस्राइल सबसे सख्त नैतिक मूल्यों के साथ है। हमारे पास एक मजबूत न्यायपालिका है, जो खुद की जांच करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी वारंट की मांग अपने आप में एक ऐतिहासिक अपराध है।

सात अक्तूबर से जारी है युद्ध
गौरतलब है कि सात अक्तूबर की सुबह हमास द्वारा करीब 5000 रॉकेट इस्राइली शहरों पर दागे गए थे. जिसके बाद से दोनों पक्षों में युद्ध जारी है। इस्राइल ने इस हमले को आंतकी हमला करार दिया है। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कमस खाई है कि वह जब तक हमास को पूर्ण रूप से खत्म नहीं कर देते, तब तक वे युद्ध विराम नहीं करेंगे। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस्राइली हमलों में 35,000 से अधिक फलस्तीनियों की मौत हो गई है। इनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। 80% आबादी विस्थापित हो गई है और सैकड़ों हजारों लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।पीटीआई.