बिहार में गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही और बेहोश हो रहे बच्चे, मौसम विभाग के अलर्ट के बाद यह अनदेखी अत्याचार है,
बिहार में भीषण गर्मी पड़ रही है। इस दौरान भी सरकारी स्कूलों को खुला रखा गया है। बिहार सरकार के फैसले के कारण राज्य के कई जिलों में बच्चे कक्षाओं में बेहोश हो गए। स्थानीय अधिकारी रिकॉर्ड तोड़ तापमान के बावजूद इस मुद्दे को सुलझाने के बजाय चुनावों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
पटना: बिहार सरकार के अव्यवहारिक और नासमझी भरा निर्णय बच्चों पर ‘बेहोशी’ बन के टूट पड़ा है। हद तो यह है कि सरकार और प्रशासन चुनाव में व्यस्त। ऐसा तब हो रहा है, जब गर्मी पिछले 12 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। अधिकारी एसी चैंबर में बैठ शिक्षकों और बच्चों के प्रतिकूल निर्देश पर निर्देश निकाले जा रहे हैं। दूसरी ओर स्थानीय पदाधिकारी भीषण गर्मी से बेहोश हुए छात्रों की सूची तैयार करने में लगे हैं। हैरत तो यह है कि मौसम विभाग लगातार एहतियात बरतने को लेकर अलर्ट जारी कर रहा है, पर बिहार के सरकारी स्कूल में पठन-पाठन का कार्य निरंतर जारी है।
नींद तब खुली जब पटना में बेहोश हुए बच्चे
गर्मी से बेहोश होने की घटना लगातार मिल रही थीं। बेगूसराय, शेखपुरा और औरंगाबाद के बाद जब पटना के घोसवरी प्रखंड से बच्चों के बेहोश होने की सूचना मिली, तब स्थानीय प्रशासन और बिहार सरकार की नींद टूटी। बिहार सरकार ने 8 जून तक के लिए सभी स्कूलोंं को बंद करने का आदेश दे दिया।
बेहोश हो रहे छात्रों की बढ़ती संख्या
बेहोश छात्रों की तो शृंखला ही बनती जा रही है। मिली सूचना के अनुसार, पटना के घोसवरी प्रखंड के कुर्मीचक मध्य विद्यालय में 6 बच्चे बेहोश हो गए। इधर बेगूसराय में भी भीषण गर्मी की वजह से 18 से अधिक बच्चे बेहोश हो गए, जिन्हें इलाज के लिए मटिहानी रेफरल अस्पतालव में भर्ती कराया गया। राज्य के शेखपुरा जिले की बात करें तो भीषण गर्मी के वजह से 6 से अधिक बच्चे इसकी चपेट में आ गए और वे बेहोश हो गए। उन्हें आनन-फानन में शेखपुरा के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। औरंगाबाद से भी ऐसा सामने आया है, जहां भीषण गर्मी की चपेट में आने से दो छात्राएं बेहोश होकर गिर गईं।
मौसम विभाग पहले से जारी कर चुका था अलर्ट
बढ़ते तापमान से तो आम जन जीवन तबाह था। आसमान से तो जैसे आग के गोले बरस रहे हों। बिहार में अधिकतम तापमान का 12 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया है। मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के मौसम वैज्ञानिक कुमार आशीष ने बताया कि साउथ बिहार में फिलहाल ऐसी स्थिति बनी रहेगी। अगले दो से तीन दिन बाद ही राहत मिलने की उम्मीद है। गया का तापमान रिकॉर्ड 46.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है, जबकि औरंगाबाद में तापमान 47.8 दर्ज किया गया है। तापमान में बढ़ोतरी को लेकर मौसम विज्ञान विभाग ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
अनदेखी तो समाज के स्तर पर भी हुई
रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के प्रति समाज की अनदेखी भी हुई है। सरकारी स्कूल में ग्रामीण स्तर पर कमेटी होती है। मुखिया और शिक्षा विभाग मिल कर समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को जोड़ते हैं, ताकि स्कूल की बेहतर शिक्षा में इनका योगदान लें और आपदा के समय सुझाव भी। पर इन दिनों या तो ऐसी कमिटी नहीं है या फिर सक्रिय नहीं है। इधर संदेश गांव तक यही है कि अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक तो सीएम नीतीश कुमार की भी नहीं सुनते। इसका प्रभाव स्थानीय प्रशासन और स्थानीय कमिटी पर भी पड़ा है।
सरकार दोषी: शैलेंद्र शर्मा
अखिल भारतीय शैक्षणिक संघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैलेद्र शर्मा उर्फ शैलू जी कहते हैं, ‘यह निर्दई और निष्ठुर सरकार के जिद्द का परिणाम है। लोकसभा के चुनाव के नाम पर भयंकर गर्मी में तपाया जा रहा है। दूसरी ओर दक्षता के नाम पर छात्रों को और दक्ष बनाने के नाम पर शिक्षकों को बेहोश होने पर मजबूर किया जा रहा है। निश्चित रूप से छात्रों पर हो रहे जुल्म के लिए जदयू और भाजपा की सरकार दोषी है। एक नौकरशाह को इतनी तरजीह दी जा रही है, आश्चर्य लगता है।’
उन्होंने कहा कि ‘मैं तो समाज को भी दोषी मानता हूं। अभी तक दमन के खिलाफ इनकी तरफ से कोई आवाज नहीं उठी है। इतने बच्चे बेहोश हुए किसी के अभिभावक ने आवाज उठाई। व्यवस्था के खिलाफ न्यायालय गए।’
अविलंब पुराना कैलेंडर लागू हो: सुरेश राय
बिहार राज्य माध्यमिक संघ के प्रदेश महासचिव सुरेश राय कहते हैं कि इस बढ़ते तापमान में दर्जनों बच्चे बेहोश हुए। शिक्षिकाओं बेहोश हुई पर सरकार कुछ भी एक्शन नहीं ले रही है। इसके लिए बिहार सरकार, स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग दोषी है। मेरा तो आग्रह है मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री से कि अविलंब स्कूलों में छुट्टी की व्यवस्था के लिए पुराना कैलेंडर लागू किया जाए।पीटीआई.