लोकसभा चुनाव 2024: ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक के लिए डायमंड हार्बर से जीत की हैट्रिक लगाना कितना मुश्किल?,

इस इलाक़े में 15 साल से तृणमूल कांग्रेस सांसद होने के बावजूद ग्रामीण इलाक़ों में सड़कों और पानी की समस्या है. लेकिन इस बार विपक्ष ने यहां कमज़ोर उम्मीदवार उतार कर पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक बनर्जी की हैट्रिक की राह बेहद आसान बना दी है.”

कोलकाता के सियालदह स्टेशन से डायमंड हार्बर जाने वाली लोकल में बातचीत के दौरान एक सब्ज़ी विक्रेता सोमेश्वर गिरि इस सीट के बारे में अपनी राय कुछ इस तरह से जताते हैं.

वो ये भी कहते हैं, “इलाक़े में इस बात की भी चर्चा है कि शायद यहां भाजपा और तृणमूल में सेटिंग हो गई है. भाजपा उम्मीदवार अभिषेक के मुक़ाबले काफी कमज़ोर हैं. तमाम समस्याओं और आरोपों के बावजूद इस बार भी तृणमूल कांग्रेस की जीत लगभग तय है.”

इलाक़े में सोमेश्वर गिरि की राय से इत्तफाक़ रखने वालों की कमी नहीं हैं. पश्चिम बंगाल में सातवें और आख़िरी चरण में जिन नौ सीटों पर मतदान होना है उनमें यह सीट सबसे वीआईपी मानी जा रही है.

लेकिन इसकी कहीं ज़्यादा चर्चा नहीं हो रही है. शायद इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां लगातार तीसरी बार अभिषेक बनर्जी की जीत पर कम ही लोगों को संदेह है.

अधिकतर लोग ये मानते हैं कि इसकी वजह यहां विपक्षी उम्मीदवारों का कमज़ोर होना है.

डायमंड हार्बर बाज़ार में एक दुकानदार मनोजित सांतरा कहते हैं, “यहां उनकी (अभिषेक) जीत तो तय है. अब देखना यह है कि वो पिछली बार की जीत का अंतर कितना बढ़ा पाते हैं.”

अभिषेक बनर्जी ने वर्ष 2019 में यह सीट 3 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा वोटों के अंतर से जीती थी. वह भी तब जब वो महज पार्टी की युवा शाखा के प्रमुख थे.

लेकिन बीते पांच वर्षों के दौरान उनका पद और कद तेज़ी से बढ़ा है. अब संगठन में वो ममता बनर्जी के बाद नंबर दो पर हैं.

पार्टी और बंगाल के राजनीतिक हलकों में उनको निर्विवाद तौर पर ममता का उत्तराधिकारी मान लिया गया है. ऐसे में यहां लोगों का कहना है कि इस बार सवाल उनकी जीत का नहीं बल्कि जीत के अंतर का है.

इस सीट की अहमियत को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को इलाक़े में एक चुनावी रैली को संबोधित किया. दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने भी यहां रोड शो किया है.पीटीआई .