राहुल और राजनाथ में बहस के बाद सेना का जवाब लेकिन अग्निवीर अजय के परिवार वाले क्या कह रहे हैं?
“अगर वह अग्निवीर था तो उसे सीमा पर दुश्मनों के सामने तैनात क्यों किया?”
लुधियाना के रामगढ़ सरदार गांव की बख्शो देवी जब ये सवाल पूछती हैं तो उनके चेहरे पर दर्द, ग़ुस्से और नाराज़गी का भाव उभर आता है.
दरअसल, बख्शो देवी के भाई अजय कुमार अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और जनवरी 2024 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी इलाक़े में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई थी.
बीते सोमवार को जब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में अग्निपथ योजना का मुद्दा ज़ोर-शोर से उठाया तो अजय कुमार के परिवार के ज़ख़्म एक बार फिर हरे हो गए.
अजय कुमार के पिता चरणजीत सिंह को आज भी वह पल याद है, जब 18 जनवरी की मनहूस शाम को उन्हें अपने बेटे की मौत की ख़बर मिली थी. बेटे की मौत बूढ़े पिता के लिए दुखों का पहाड़ टूटने जैसी थी
चरणजीत सिंह कहते हैं, ”उस शाम मुझे फोन आया कि एक बारूदी सुरंग विस्फोट में तीन लोग घायल हो गए हैं, उनमें से एक आपका बेटा भी है.”
चरणजीत सिंह की छह बेटियां हैं, जिनमें से चार की शादी हो चुकी है. अजय कुमार पांच बहनों में सबसे छोटे थे.
परिवार को अब तक क्या वित्तीय सहायता मिली है?
परिवार को मिली आर्थिक सहायता के बारे में चरणजीत सिंह का कहना है कि उनके परिवार को पंजाब सरकार से एक करोड़ रुपये मिले हैं. पंजाब सरकार अपने राज्य के सभी सैनिकों की मौत पर उनके परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देती है.
केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली मदद के बारे में चरणजीत सिंह का कहना है कि पिछले दिनों उन्हें सेना से 48 लाख रुपये मिले थे.
हालांकि उन्हें केंद्र सरकार से नाराज़गी है. वे कहते हैं, ”केंद्र सरकार ने हमें न तो कोई शोक पत्र दिया है और न ही कोई सांत्वना दी है कि आपका बेटा सीमा की रक्षा के लिए गया है.”
उनकी मांग है कि अग्निवीर योजना को रद्द किया जाए. परिवार का कहना है, ”रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में जो दावा किया है, वो सच नहीं है. कुछ दिन पहले ही हमें 48 लाख रुपये मिले हैं.”
”परिवार को न तो कोई पेंशन दी गई है, न ही सैनिक की शहादत के बाद मिलने वाली सुविधाएं. हमारे बेटे की मौत पर केंद्र सरकार ने हमें सांत्वना भी नहीं दी.”
सोमवार को संसद में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, ”कुछ दिन पहले मैं पंजाब के एक छोटे से घर में अग्निवीर के परिवार से मिला था. अग्निवीर जवान बारूदी सुरंग ‘विस्फोट’ में ‘शहीद’ हो गया था. मैं उस जवान को ‘शहीद’ कह रहा हूं लेकिन भारत सरकार उसे ‘शहीद’ नहीं कहती.”
राहुल ने कहा, “नरेंद्र मोदी उन्हें शहीद नहीं कहते, अग्निवीर कहते हैं. उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी, मुआवजा नहीं मिलेगा, शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा.”
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “आम जवान को पेंशन मिलेगी. भारत सरकार आम जवान की मदद करेगी लेकिन अग्निवीर को जवान नहीं माना जा सकता, अग्निवीर यूज एंड थ्रो मज़दूर है.”
“आप उसे छह महीने की ट्रेनिंग दीजिए, एक चीनी जवान को पांच साल की ट्रेनिंग मिलती है. राइफल लेकर उसके सामने खड़े हो जाओ, एक जवान से दूसरे जवान में फ़र्क़ करो, एक को शहीद का दर्जा मिलेगा, दूसरे को नहीं.”
राहुल गांधी के बयान का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ग़लत बयानबाज़ी कर सदन को गुमराह कर रहे हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि युद्ध के दौरान और सीमा की रक्षा के दौरान जब भी कोई अग्निवीर जवान ‘शहीद’ होता है तो उसके परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाती है.
मंगलवार को संसद में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राहुल के बयान को भ्रामक बताया. उन्होंने कहा कि ऐसा करके भ्रम फैलाया जा रहा है.
अजय कुमार के पिता चरणजीत सिंह राजनाथ सिंह के बयान से सहमत नहीं हैं.
उनका कहना है कि केंद्र सरकार या भारतीय सेना से उन्हें एक करोड़ की रक़म नहीं मिली है और ना उन्हें पेंशन जैसे लाभ नहीं मिल रहे हैं, जो अन्य सैनिकों के परिवारों को मिलते हैं. उनकी मांग है कि उन्हें यह सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए.
परिवार से राहुल गांधी की मुलाक़ात
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने 29 मई को अजय कुमार के परिवार के सदस्यों से मुलाक़ात की थी. उन्होंने परिवार के सदस्यों का हालचाल जाना था.
चरणजीत सिंह का कहना है कि जब राहुल गांधी उनके घर आए तो उन्होंने सांत्वना दी थी कि वह अग्निवीर योजना रद्द कर देंगे. उन्होंने स्थानीय सांसद अमर सिंह से भी कहा था कि परिवार का ख्याल रखा जाए.
अजय कुमार की बहन बख्शो देवी का कहना है कि उनके भाई ने भी नियमित भर्ती के लिए तैयारी की थी, लेकिन कोविड के कारण परीक्षा नहीं हुई और वह अग्निवीर योजना में शामिल हो गए.
वह बताती हैं कि क़रीब छह-सात महीने की ट्रेनिंग के बाद वह अगस्त महीने में घर आये. इसके बाद सितंबर महीने में उनकी तैनाती कश्मीर में हुई थी. छह महीने के अंदर ही उनकी मौत की ख़बर आई.
भारतीय सेना की वेबसाइट के मुताबिक़, अग्निवीर योजना के तहत युवाओं को चार साल के लिए भारतीय सेना में भर्ती किया जाता है.
चार साल के बाद उनमें से केवल 25 प्रतिशत जवानों को नियमित भर्ती के तहत नौकरी दी जा रही है. इस योजना के तहत भर्ती किए गए युवाओं का वेतन शुरुआती साल में 4.76 लाख रुपये से शुरू होता है और सेवा पूरी होने तक 6.92 लाख रुपये सालाना तक पहुंचता है.
चार साल बाद इन्हें 11.71 लाख का भुगतान किया जाता है. मृत्यु की स्थिति में 48 लाख रुपये का जीवन बीमा दिया जाता है. वहीं सेवा के दौरान मृत्यु पर 44 लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने का प्रावधान है.
अगर कोई ड्यूटी के दौरान 100 प्रतिशत विकलांग हो जाता है तो उसे 44 लाख रुपये, 75 प्रतिशत विकलांग होने पर 25 लाख रुपये और 50 प्रतिशत विकलांग होने पर 15 लाख रुपये मिलेंगे.
ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अग्निवीर को सरकार की ओर से 44 लाख रुपये की राशि मिलेगी और सेवा के बाक़ी समय का पूरा वेतन देने का प्रावधान भी है. इन्हें राशन, वर्दी और किराए में छूट जैसे सभी भत्ते दिए जाने का प्रावधान है.
बुधवार को सेना ने एक्स पर जारी किए गए पोस्ट में इस मामले पर अपनी बात रखी है.
सेना की तरफ़ से कहा गया है कि सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट से पता चला है कि कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवाने वाले अग्निवीर अजय कुमार के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया गया है.
बयान में कहा गया है, ”भारतीय सेना अग्निवीर अजय कुमार के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करती है. अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया. अग्निवीर अजय के परिवार को दी जाने वाली कुल राशि में से पहले ही 98.39 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है.”
”अग्निवीर योजना के प्रावधानों के मुताबिक़ लगभग 67 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और अन्य लाभ, पुलिस वेरिफिकेशन के तुरंत बाद फ़ाइनल अकाउंट सेटलमेंट कर भुगतान किए जाएंगे. कुल राशि लगभग 1.65 करोड़ रुपये होगी. शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को देय भत्ते का भुगतान शीघ्रता से किया जाता है, जिसमें अग्निवीर भी शामिल हैं.”
अग्निपथ योजना क्या है?
भारत सरकार की अग्निपथ योजना के तहत युवा चार साल के लिए भारतीय सेना में शामिल होते हैं, जिन्हें अग्निवीर कहा जाता है.
इन चार सालों के दौरान उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है. चार साल के बाद उन्हें सर्टिफिकेट भी दिया जाता है. इनमें से 25 फीसदी तक चयनित युवा सेना में शामिल हो सकेंगे. इन युवाओं की उम्र 17.5 साल से 21 साल के बीच होनी चाहिए.
इसलिए 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है, लेकिन यदि किसी युवा ने 10वीं कक्षा की पढ़ाई की है, तो उसे बारहवीं कक्षा की परीक्षा में शामिल होने से पहले भी योजना में शामिल किया जा सकता है, लेकिन परीक्षा पास करनी होगी.
जून 2022 में केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद सेना में शामिल होने के इच्छुक युवाओं ने देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया. इस योजना के नियमों और इसके तहत मिलने वाली सुविधाओं को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और युवाओं में निराशा थी.
भारतीय संसद में विपक्षी इंडिया गठबंधन अग्निवीर योजना का विरोध कर रहा है. लोकसभा के आम चुनाव और सदन के पहले सत्र में विपक्षी दलों ने दावा किया कि उनकी सरकार बनने पर अग्निवीर योजना को खत्म कर दिया जाएगा. हालांकि सरकार इसे भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने वाला बता रही है, लेकिन कई रक्षा विशेषज्ञ इस योजना का विरोध भी कर रहे हैं.