“भारतीय वित्तीय क्षेत्र का आउटलुक उज्ज्वल रहेगा” : आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 की खासियतें.
भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 प्रस्तुत किया, जिसकी खासियतें निम्नलिखित हैं…
- भारतीय वित्तीय क्षेत्र का आउटलुक उज्ज्वल रहेगा : महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने व्यवस्थित तरीके से सुधार किया है. यह इससे स्पष्ट होता है कि 2023-24 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) महामारी-पूर्व 2019-20 के स्तर से 20 प्रतिशत अधिक है. भारतीय वित्तीय क्षेत्र का आउटलुक उज्ज्वल रहेगा. सर्वेक्षण के मुताबिक पूंजीगत व्यय पर सरकार के ज़ोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला है.
- मज़बूत विकास संभावनाएं : सर्वेक्षण दस्तावेज़ के अनुसार, यह ऐसी उपलब्धि है, जो केवल बहुत कम प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने हासिल की है. आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है, “वित्तवर्ष 2025 में भू-राजनीतिक, वित्तीय बाज़ार और जलवायु जोखिमों के अधीन, मजबूत विकास की संभावनाएं अच्छी दिख रही हैं…”
- 2023 में वैश्विक आर्थिक विकास 3.2% रहा : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा इस वर्ष अप्रैल में प्रकाशित विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुसार 2023 में वैश्विक आर्थिक विकास 3.2 प्रतिशत रहा है. देशों के बीच विकास के अलग-अलग पैटर्न सामने आए हैं. देशों के विकास प्रदर्शन में भारी अंतर घरेलू संरचनात्मक मुद्दों, भू-राजनीतिक संघर्षों के असमान जोखिम और मौद्रिक नीति में सख्ती के प्रभाव के कारण रहा है.
- भारत की वास्तविक जीडीपी में 8.2% की वृद्धि : आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में बनी गति को 2023-24 में भी जारी रखा, जबकि कई बाहरी चुनौतियां थीं. 2023-24 में भारत की वास्तविक GDP में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2023-24 की चार तिमाहियों में से तीन में 8 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गई.
- पूंजी निर्माण वृद्धि को दिया बढ़ावा : सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है, “समष्टि आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने से सुनिश्चित हुआ कि बाहरी चुनौतियों का भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़े…” इसमें कहा गया है कि पूंजीगत व्यय पर सरकार के ज़ोर और निजी निवेश में निरंतर गति ने पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा दिया है. 2023-24 में सकल स्थायी पूंजी निर्माण में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
- स्वस्थ कॉरपोरेट और बैंक बैलेंस शीट निजी निवेश को करेंगे और मज़बूत : आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि आगे बढ़ते हुए, स्वस्थ कॉरपोरेट और बैंक बैलेंस शीट निजी निवेश को और मज़बूत करेंगे. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है, “आवासीय रियल एस्टेट बाजार में सकारात्मक रुझान संकेत देते हैं कि घरेलू क्षेत्र में पूंजी निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है…”
- खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में घटकर 5.4 प्रतिशत हो गई : वैश्विक संकटों, आपूर्ति शृंखला में व्यवधानों और मानसून की अनिश्चितताओं से उत्पन्न मुद्रास्फीति के दबावों को प्रशासनिक और मौद्रिक नीति प्रतिक्रियाओं द्वारा कुशलतापूर्वक प्रबंधित किया गया है. परिणामस्वरूप, 2022-23 में औसतन 6.7 प्रतिशत के बाद, खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में घटकर 5.4 प्रतिशत हो गई.
- सरकार के राजकोषीय संतुलन में हुआ सुधार : “सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के बावजूद सामान्य सरकार के राजकोषीय संतुलन में उत्तरोत्तर सुधार हुआ है… प्रक्रियात्मक सुधारों, व्यय संयम और बढ़ते डिजिटलीकरण द्वारा संचालित कर अनुपालन लाभ ने भारत को यह बढ़िया संतुलन हासिल करने में मदद की…”
- मज़बूत रहा सेवा निर्यात : माल की कम वैश्विक मांग के कारण बाहरी संतुलन पर दबाव पड़ा है, लेकिन मजबूत सेवा निर्यात ने इसे काफी हद तक संतुलित कर दिया है.
- चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत रहा : परिणामस्वरूप, चालू खाता घाटा (CAD) 2023-24 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत रहा, जो 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद के 2.0 प्रतिशत घाटे से बेहतर है.