अजित पवार को अब क्यों हो रहा है ‘पश्चाताप’, कहीं चाचा शरद पवार से सुलह की कोशिश तो नहीं
एनसीपी नेता अजित पवार ने बारामती में सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी को उतारने को गलती बताया है. उनका कहना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था. उनके इस बयान के बाद एक बार फिर इस बात की अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि वो चाचा शरद पवार के पास वापस लौट सकते हैं.
उपमुख्यमंत्री अजित पवार के एक बयान से महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है.उन्होंने मंगलवार को कहा कि बारामती में सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाना उनकी गलती थी. उन्होंने कहा कि राजनीति को घर में नहीं घुसने देना चाहिए था.वो उन्हें अपनी सभी बहनें प्यारी हैं.उनके इस बयान को अपने चाचा शरद पवार के साथ सुलह की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.राज्य के राजनीतिक हलके में इस बात की चर्चा है कि क्या अजित पवार एक बार फिर अपने चाचा के पास लौटना चाहते हैं.
अजित पवार ने कहा क्या है
अजित पवार ने एक मीडिया हाउस से बातचीत की. इस दौरान उनसे पूछा गया था कि क्या बारामती में आपकी कोई प्यारी बहन है. इस सवाल पर अजित पवार ने कहा, ”राजनीति की जगह राजनीति है, लेकिन ये सभी मेरी प्यारी बहनें हैं. कई घरों में राजनीति चल रही है. लेकिन राजनीति को घर में घुसने नहीं देना चाहिए. हालांकि लोकसभा के दौरान मुझसे एक गलती हो गई थी. संसदीय बोर्ड ने सुनेत्रा पवार को मनोनीत करने का निर्णय लिया.एक बार तीर लगने के बाद उसे वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन मेरा दिल आज भी मुझसे कहता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था. अब तो उस फैसले को वापस नहीं लिया जा सकता.”जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आप रक्षाबंधन पर सुप्रिया सुले के पास जाएंगे? इस सवाल पर अजित पवार ने कहा कि इस समय मैं राज्य के दौरे पर हूं.अगर मैं रक्षाबंधन के दौरान वहां रहता हूं तो निश्चित तौर पर जाऊंगा.
अजित पवार के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं.राजनीतिक हलके में इसे उनके सुलह की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.वह भी ऐसे समय में जब एनसीपी में बगावत के बाद उनके साथ आए कई बड़े नेता और विधायक उनसे दूर होते जा रहे हैं.महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव अगले कुछ महीनों में होने हैं.
बारामती का मुकाबला
अजित पवार 2023 में अपने चाचा शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बगावत कर महायुति गठबंधन में शामिल हो गए थे.इसके बाद उन्हें एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री बनाया गया था.उन्होंने दावा किया था कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायक हैं. अजित पवार के साथ उनके आठ विधायकों छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटील, दिलीप वलसे पाटील, धर्मराव अत्राम, संजय बनसोड़े, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ को भी मंत्रिपद की शपथ दिलाई गई थी.अजित पवार ने पार्टी का चुनाव निशान ‘घड़ी’ पर भी कब्जा जमा लिया था.
इस बगावत के बाद हुए लोकसभा चुनाव में दोनों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बारामती में आमने-सामने आ गए थे. वहां एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की टिकट पर अजित की बहन सुप्रिया सुले मैदान में थीं. वहीं एनसीपी ने अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को टिकट दिया था. इससे बारामती का मुकाबला रोचक हो गया था. इस लड़ाई में बाजी चाचा शरद पवार के हाथ लगी और सुप्रिया सुले विजयी हुईं.