14 साल की मन्नत के बाद मिले बच्चे का मुंबई में हुआ कत्ल, ‘शिकारी’ दिल्ली के GB रोड पर ऐसे पकड़ा गया
कोराना माहमारी में बिपुल शिकारी (Bipul Shikari) समेत अन्य अपराधियों को पैरोल पर जेल से रिहा कर दिया गया था. जिसके बाद वह कभी जेल वापस नहीं लौटा. कानून से भागने की वजह से 31 अगस्त 2022 को अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था.
मुंबई का वडाला, 12 साल का बच्चा और एक अनहोनी. ये कहानी है उन माता-पिता के कभी न भूल पाने वाले उस दर्द की, जिसके बारे में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था. संदीप अपने माता-पिता का इकलौता बच्चा था और जिगर का टुकड़ा भी. होता भी क्यों नहीं, शादी के 14 साल बाद उसके माता-पिता को यह सुख नसीब जो हुआ था. लेकिन उनको क्या पता था कि ये खुशी उनके पास ज्यादा दिन तक टिकने वाली नहीं है. एक घटना ने 42 साल के माता-पिता का सबकुछ तबाह कर दिया. 28 जनवरी को 12 साल का संदीप मुंबई (Mumbai Murder) के वडाला में अपने घर के पास से अचानक लापता हो गया. परिवार का दिन पुलिस स्टेशन में चक्कर लगाने से शुरू होता और अस्पतालों और आसपास की धूल छानने के बाद खत्म होता.
शिकारी ने कैेसे उजाड़ दी मां-बाप की गोद
पुलिस भी संदीप का पता नहीं लगा पा रही थी. जिस वजह से उसके मछुवारे माता-पिता बुरी तरह से टूट गए थे. लेकिन उम्मीद की एक किरण अब भी बची थी. 4 मार्च उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान लेकर आया, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी. पुलिस को एक जंगली इलाके में बुरी तरह से क्षत-विक्षत शव मिला. अगले दिन खोपड़ी मिलते ही उनकी उम्मीद की आखिरी किरण भी पूरी तरह से बुझ गई. दरअसल सीसीटीवी में 12 साल का संदीप बिपुल शिकारी नाम के शख्स के साथ देखा गया था. जिसके बाद पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया. वह बच्चे को टैक्सी में बिठाते हुए दिख रहा था.
संदीप से पहले शिकारी ने की लड़की हत्या
जैसे ही लोगों को पता चला कि पुलिस संदिग्ध बिपुल शिकारी का पीछा कर रही है तो उसके पड़ोसियों ने उसे पकड़कर पुलिस को खबर कर दी और उसको जमकर पीटा, जिसकी वजह से वह कीचड़ और खून से लथपथ हो गया. मुंबई और दिल्ली पुलिस ने जब शिकारी के बैकग्राउंड की गहराई से जांच की, तो पता चला कि उसका अपराध का इतिहास रहा है. वह तो एक सजायाफ्ता अपराधी था. उसने अप्रैल 2012 में, कोलकाता में दुर्गा चरण मित्रा स्ट्रीट पर एक लड़की की हत्या कर दी थी. जांच में खुलासा हुआ था कि शिकारी पीड़िता को मारने से पहले रेडलाइट एरिया सोनागाछी लेकर गया था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया जिसके बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
कोरोना में रिहा हुआ, तो जेल ही नहीं गया
कोराना माहमारी में बिपुल शिकारी समेत अन्य अपराधियों को पैरोल पर जेल से रिहा कर दिया गया था. जिसके बाद वह कभी जेल वापस नहीं लौटा. कानून से भागने की वजह से 31 अगस्त 2022 को अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था. इसके बाद बिपुल शिकारी ने पश्चिम बंगाल छोड़ दिया और मुंबई जा पहुंचा, जहां उसने अपने पुराने काम पर वापस लौटने से पहले छोटे-मोटे काम किए. उसने एक संदिग्ध ट्रांसजेंडर के नेतृत्व वाले गिरोह के साथ मिलकर संदीप को किडनैप किया और और उसकी हत्या कर दी.