कश्मीर डायरी : शंकराचार्य पर्वत को उमर की पार्टी ने बताया ‘तख्त-ए-सुलेमान’, जानें कश्मीर में ये क्या सियासी घमासान
शंकराचार्य मंदिर के साथ कई कहानियां और इतिहास जुड़ा हुआ है. यह मंदिर कश्मीर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है. यह ज़बरवान पर्वतमाला पर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है.
Kashmir Diary माना जाता है की शंकर भगवान अक्सर ऊंची पहाड़ियों पर बस्ते हैं. श्रीनगर शहर के बीचों-बीच में भी बसा है, उनका एक निवास स्थान- शंकराचार्य मंदिर. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शंकराचार्य मंदिर श्रीनगर जिले में एक पहाड़ी पर स्थित है. यह पहाड़ी की चोटी पर मुख्य शहर की सतह से 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. कश्मीर में शंकराचार्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे कश्मीर घाटी में पूजा के लिए सबसे पुराना मंदिर माना जाता है.
शंकराचार्य नाम को लेकर हो रही सियासत
कश्मीर के चुनावी माहौल में अब इस पर सियासत हो रही है. दरासल, नेशनल कॉन्फ़्रेंस ने अपने मैनिफेस्टो में शंकराचार्य पर्वत का ज़िक्र ‘तख्त-ए-सुलेमान’ से किया है. इसे लेकर अब ना सिर्फ़ राजनीतिक पार्टियों में, बल्कि कश्मीरी पंडितों के बीच भी बयान बाज़ी हो रही है.
कश्मीरी हिंदुओं को लगी ठेस
कुछ कश्मीरी हिंदुओं का कहना है कि नेशनल कॉन्फ़्रेंस विस्थापित कश्मीरियों को वापिस कश्मीर घाटी में लाने का दावा बेशक करती हो, लेकिन उसके इस कदम से उसकी भावनाओं को ठेस पहुंची है. कश्मीरी पंडितों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के इस रुख पर फारूक अब्दुल्ला को सीधा पत्र भी लिखा है. जानकारी ये भी है कि कश्मीर पंडित कॉन्फ्रेंस ने चुनाव आयोग को भी पत्र लिखा है और मांग उठाई है कि कश्मीरी हिंदुओं की पहचान को खत्म करने के प्रयास को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा जाएं. ये ही नहीं कुछ कश्मीरी पंडितों की संस्थानों का कहना है कि कुछ जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल उनकी सभ्यता के तमाम निशान मिटाना चाहती है और कुछ कट्टरवादी तत्व पहले से इस प्रोपेगेंडा पर काम कर रहे हैं और लैलेश्वरी को लैला अरिफा और श्रीनगर को शहर-ए-खास बताने का प्रयास हो रहा है.
कश्मीर में धर्म पर राजनीति कोई नई नहीं
दरअसल, कश्मीर में धर्म के नाम पर राजनीति कोई नई बात नई नहीं. वैसे इस मसले को लेकर बीजेपी भी हमलावर हो गई है और पार्टी ने कहा है कि मुस्लिम सेंटीमेंट को उभारकर वोट हासिल करने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस धर्म की राजनीति कर रही है.