यशवंत सिन्हा के पक्ष में उतरे सिसोदिया, अर्थव्यवस्था की जर्जर स्थिति पर जताई चिंता
दिल्ली का वित्त विभाग संभालने वाले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की ओर से अर्थव्यवस्था की जर्जर हालत पर जताई गई चिंता को जायज ठहराते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति से आम आदमी बदहाल और चुनिंदा उद्योगपति मालामाल हो रहे हैं। सिसोदिया ने बुधवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अर्थव्यवस्था की बदहाली को जीडीपी, निवेश और रोजगार सृजन के तीन मानकों से समझा जा सकता है। उन्होंने आंकड़ों के हवाले से कहा कि साल 2014 के बाद अर्थव्यवस्था में जीडीपी 9.1 से गिरकर अपने न्यूनतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर आ गई है। अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र का निवेश पिछले 25 सालों में 5.7 लाख करोड़ रुपए से घटकर अपने न्यूनतम स्तर (2.07 लाख करोड़ रुपए) पर रह गई। इसके अलावा सालाना रोजगार सृजन भी हर साल 1.2 करोड़ रोजगार के अवसरों की मांग की तुलना में न्यूनतम स्तर पर है।
सिसोदिया ने कहा कि नोटबंदी में 15 लाख लोगों की नौकरियां जाने और दुनिया के सबसे जटिल जीएसटी तंत्र में कर की 28 फीसद तक ऊंची दर से आयकर वसूली में गिरावट ने अर्थव्यवस्था को जर्जर बना दिया। उन्होंने दलील दी कि इसका सीधा असर आम आदमी की गुजर बसर पर पड़ा है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने आयकर कानून में संशोधन कर संदेह या अफवाह मात्र के आधार पर आयकर अधिकारियों को कारोबारी प्रतिष्ठानों पर छापेमारी का अधिकार दे दिया और इस तरह ‘रेड राज’ को बढ़ावा देते हुए छोटे कारोबारियों की कमर तोड़ दी है। उपमुख्यमंत्री ने मोदी सरकार द्वारा आर्थिक नीतियां बनाने में देश के शीर्ष आर्थिक विशेषज्ञों को दरकिनार कर उद्योगपतियों को शामिल करने को अर्थतंत्र की बदहाली का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा कि जाने माने अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले साल अर्थव्यवस्था को लेकर जो चिंता जताई थी वह आज हकीकत के रूप में सामने आ गई है। इसके बाद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और अब भाजपा सरकार के पूर्व वित्त मंत्री सिन्हा को भी बदहाल आर्थिक भविष्य की चेतावनी देनी पड़ी है। सिसोदिया ने कहा कि साल 2014 तक सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था का अब सबसे तेजी से नीचे को गिरती अर्थव्यवस्था में तब्दील होना कहीं किसी बड़ी गड़बड़ी का स्पष्ट संकेत है।