कोर्ट को ठेंगा दिखा बेटे को दे दी माफी, बाइडेन ने दिखा दी अमेरिकी जस्टिस सिस्टम की झांकी

सुहेल सेठ ने अमेरिकी न्याय प्रणाली की विडंबना पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “अमेरिकियों को समझना चाहिए कि वे एक ऐसे गणराज्य में जी रहे हैं, जिसका साम्राज्य टूट रहा है.”

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जिस तरह अदालत को ठेंगा दिखा बेटे को खुद ही माफी दे डाली, उससे अमेरिकी जस्टिस सिस्टम पर यह शेर बिल्कुल सटीक बैठता है. बाइडन के इस कदम ने अमेरिका के जस्टिस सिस्टम की लाचारगी भी सामने लाकर रख दी है. किस तरह नेता उसे उंगलियों पर नचा सकते हैं, यह इसकी भी बानगी है. मजे की बात यह है कि अमेरिका के इसी सिस्टम से निकली रिपोर्ट पर भारत में हंगामा मचाया जा रहा है. बता दें कि बाइडेन के बेटे हंटर अवैध तरीके से बंदूक रखने और टैक्स चोरी के मामले में सजा का सामना कर रहे थे, लेकिन पिता ने उन्हें क्षमादान दिलवा दिया. अमेरिकी जस्टिस सिस्टम के इस खोखलेपन पर  बिजनेस कंसल्टेंट सुहेल सेठ ने भी सवाल उठाया है. सुहेल सेठ ने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि अमेरिका की न्याय व्यवस्था में किस कदर नेताओं की घुसपैठ है और वह अपने स्वार्थ के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.

सुहेल सेठ ने सोमवार को कोलकाता में न्यूज एजेंसी ANI से कहा, “जो बाइडेन ने खुद कहा था कि अमेरिकी न्याय प्रणाली राजनीति से संक्रमित है. अब कौन इस सिस्टम पर भरोसा करेगा?” सेठ ने कहा, “बाइडेन के बयान से साफ जाहिर होता है कि अमेरिकी न्यायपालिका में राजनीति का गहरा प्रभाव है. अगर राष्ट्रपति बाइडेन खुद इस व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं, तो सामान्य नागरिकों को कैसे विश्वास हो सकता है?”

न्याय विभाग बना पूरी तरह से हथियार
सुहेल सेठ ने कहा, “अमेरिका का न्याय विभाग अब पूरी तरह से राजनीतिक प्रभाव में काम कर रहा है. खास तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के मामले में इसके यू-टर्न के बाद चीजें सामने आ रही हैं. अमेरिकी न्याय विभाग को पूरी तरह से हथियार बना दिया गया है. हमने देखा कि ट्रंप के मामले में क्या हुआ. अब उस जज ने भी केस वापस ले लिया है. मामला पूरी तरह से गड़बड़ लगता है.”

अदाणी ग्रुप के मामले पर भी सुहेल सेठ ने यह कहते हुए सवाल उठाए कि अमेरिकी अभियोजकों का हड़बड़ी में कार्यवाही करना भारत की हालिया आर्थिक सफलता के खिलाफ राजनीतिक उद्देश्य को दर्शाता है. सेठ ने कहा, “राष्ट्रपति बाइडेन को लगता है कि उनके बेटे के खिलाफ किया गया व्यवहार अनुचित था, तो फिर वह अन्य भारतीय कंपनियों और उनके खिलाफ अमेरिकी न्याय व्यवस्था के फैसलों के बारे में कैसे न्यायसंगत हो सकते हैं? फिर चाहे वह अदाणी हो या कोई और बिजनेस ग्रुप…”