अर्थव्यवस्था पर रार: बेटे जयंत ने “जवाबी आर्टिकल” लिख कर यशवंत सिन्हा को ठहराया गलत
नरेंद्र मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने गुरुवार (28 सितंबर) को एक अखबार में लेख लिखकर बुधवार (27 सितंबर) को अपने पिता यशवंत सिन्हा द्वारा देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति की आलोचन का जवाब दिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित आलेख में लिखा था, “अर्थव्यवस्था तेजी से नीचे जा रही है, ठोकर लगनी तय है। भाजपा में बहुत से लोग यह बात जानते हैं मगर डर की वजह से कुछ बोलते नहीं।” जयंत सिन्हा ने अपने जवाबी आलेख में लिखा है, “भारतीय अर्थव्यस्था के बदलते चेहरे पर हाल में कई लेख प्रकाशित हुए हैं। दुर्भाग्यवश, ये लेख सीमित तथ्यों के आलोक में अतिसरलीकरण करते हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था में मूलभूत बदलावों पर इनकी नजर नहीं जाती है। इतना ही नहीं एक या दो तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर और दूसरे आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल्याकंन के लिए काफी नहीं हैं। इनसे ढांचागत बदलावों के दीर्घकालीन प्रभावों का पता नहीं चलता।” जयंत सिन्हा ने अपने लेख में यशवंत सिन्हा का नाम नहीं लिया है लेकिन नेशनल हेरल्ड ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि जयंत को उनके पिता के लेख का जवाब देने के लिए बीजेपी और मोदी सरकार के शीर्ष लोगों ने कहा।
जयंत सिन्हा ने अपने लेख में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), नोटबंदी और डिजिटल भुगतान को अर्थव्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने वाला कदम बताया। जयंत सिन्हा ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा किए गए ढांचागत बदलाव “न्यू इंडिया” के निर्माण के साथ एक अरब लोगों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए जरूरी हैं। जयंत सिन्हा ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा साल 2014 से लागू किया गये सुधार देश में तीसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधार हैं। जयंत सिन्हा ने लिखा है कि पहली पीढ़ी का आर्थिक सुधार 1991 में हुए, दूसरी पीढ़ी के सुधार भाजपानीत गठबंधन एनडीए की सरकार में 1999-2004 तक हुए थे।
इससे पहले यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधते हुए लिखा था, “मैं अपने राष्ट्रीय कर्त्तव्य के पालन करने में असफल होऊंगा अगर मैंने अब वित्त मंत्री द्वारा अर्थव्यवस्था की दुर्गति के बारे में नहीं बोला। मैं निश्चिंत हूं कि मैं जो भी कहने जा रहा हूं वह बड़ी संख्या में भाजपा के लोगों की भावनाएं हैं, जो डर की वजह से बोल नहीं रहे। इस सरकार में अरुण जेटली सर्वोत्तम और सबसे माहिर समझे जाते हैं। यह 2014 लोकसभा चुनावों से पहले तय था कि वह नई सरकार में वित्त मंत्री होंगे। अमृतसर से लोकसभा चुनाव हारना भी उनकी राह का रोड़ा नहीं बना। याद होगा कि ऐसी ही परिस्थितियों में अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन को मंत्री बनाने से इनकार कर दिया था, जबकि वे दोनों उनके बेहद करीबी थे। जेटली की अपरिहार्यता उस समय लक्षित हुई जब प्रधानमंत्री ने उन्हें न सिर्फ वित्त मंत्रालय, बलिक रक्षा और कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय भी सौंप दिया। एक बार में चार मंत्रालय, जिनमें से तीन उनके पास अभी भी हैं। मैंने वित्त मंत्रालय संभाला है और मैं जानता हूं कि अकेले उसी मंत्रालय में कितना काम होता है। इस मंत्रालय को अपने प्रमुख के पूरे ध्यान की आवश्यकता होती है। कठिन समय में यह चौबीसों घंटे हफ्ते के सातों दिन की नौकरी हो जाती है, यहां तक कि जेटली जैसा सुपरमैन भी काम के साथ न्याय नहीं कर सकता।”