करुण नायर इनसे राहत ले सकते हैं, इन तमाम भारतीय दिग्गजों ने रचा इतिहास, लेकिन कभी…
चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम के ऐलान के बीच जहां दिग्गज टीम और खिलाड़ियों की समीक्षा कर रहे हैं, तो एक खिलाड़ी जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा है, वह शनिवार को ही खत्म हुए विजय हजारे ट्रॉफी (Vijay Hazare Trophy 2025) में इतिहास रचने वाले करुण नायर (Karun Nair) के हैं. और आखिर चर्चे हो भी क्यों न? कारनामा ही इस बल्लेबाज ने ऐसा कर डाला है कि बड़े-बड़ों के पसीने छूट जाएंगे. यूं तो प्रतियोगिता के एक संस्करण में सबसे ज्यादा रन बनाने के वाले में वह सर्वकालिक बल्लेबाजों में तीसरे नंबर पर हैं, लेकिन 9 मैचों में 389.50 का औसत वह बात है, जो किसी भी बल्लेबाज के लिए एवेरेस्ट चढ़ने सरीखा जैसा साबित होगा. नायर ने 5 शतक औ 1 अर्द्धशतक के साथ यह कारनामा करने के बावजूद टीम इंडिया में उनके लिए जगह नहीं है, तो कह सकते हैं कि वास्तव में किस्मत ईश्वर द्वारा तय की जाती है! निश्चित तौर पर खिलाड़ी विशेष की मनोदशा समझी जा सकती है, लेकिन करुण के पास राहत के लिए यहां भारतीय क्रिकेट इतिहास में और बड़े उदाहरण हैं.
भारतीय घरेलू इतिहास में कई सूरमा ऐसे हुए, जिन्होंने कारनामे बहुत ही बड़े किए, लेकिन वह कभी टीम इंडिया की कैप नहीं पहन सके. इनमें लेफ्टी स्पिनर पद्माकर शिवालकर (124 मैचों में 589 विकेट), राजिंदर गोयल ( 157 मैचों में 750 प्रथम श्रेणी विकेट ), ऑफ स्पिनर कंवलजीत सिंह (111 मैचों में 668 प्रथम श्रेणी विकेट ), अमोल मजूमदार (171 मैचों में 11167 प्रथम श्रेणी रन ) और जलज सक्सेना (145 मैचों में 464 विकेट और 6834 रन ) शामिल हैं.
और राहत की बात यह है कि…
निश्चित तौर पर करुण नायर और किसी भी खिलाड़ी के लिए सवाल करना जायज है, “हे ईश्वर! आखिर मेरी क्या गलती है.” लेकिन इसके बावजूद ऊपर बताए गए दिग्गजों की ओर देखते हुए करुण इस बात से राहत ले सकते हैं कि वह अभी तक भारत के लिए न केवल छह टेस्ट और 2 वनडे मैंच खेल चुके हैं, बल्कि उन्होंने देश के लिए नाबाद तिहरा शतक जड़ने का वह कारनामा किया है, जो तेंदुलकर सहित कई बड़े से बड़े बल्लेबाज नहीं हीं कर सके.