World Sleep Day: क्यों उड़ी है हिंदुस्तान की नींद? 59 फीसदी भारतीय 6 घंटे से कम सो पा रहे हैं

क्या आप पूरी नींद ले पाते हैं? इस सवाल के जवाब में अधिकांश लोग कहेंगे- नहीं. ज्यादातर लोगों का कहना होता है कि पूरी नींद कहां? काफी मुश्किल से तो नींद आती है फिर कुछ ही देर बाद टूट भी जाती है. करवट बदलते-बदलते जैसे-तैसे रात पूरी होती है. फिर सुबह से शाम तक काम, खाना-पीना और फिर रात में बेड पर जाने के बाद कल के काम की चिंता. पूरी नींद नहीं लेना हेल्थ के लिहाज से एक बड़ी चिंता है. लेकिन ज्यादातर भारतीयों की नींद उड़ी हुई है. नतीजा ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, अनिद्रा जैसी कई बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं.
लोकल सर्किल्स सर्वे ने बताई नींद की कहानी
हर साल 21 मार्च (जब दिन और रात बराबर होते हैं) से पहले शुक्रवार को वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है. 14 मार्च को होली के दिन इस बार वर्ल्ड स्लीप डे मना. वर्ल्ड स्लीप डे (World Sleep Day) से पहले लोकल सर्कल्स (LocalCircles) ने एक सर्वे के जरिए भारतीय की नींद की कहानी बताई.
लोकल सर्कल्स ने सर्वे में बताया कि 59 फीसदी भारतीय 6 घंटे से कम निर्बाध नींद पा रहे हैं. इनमें से 38 प्रतिशत लोग वीकेंड को भी नींद पूरी नहीं कर पा रहे हैं.
348 जिलों के 43 हजार लोगों से पूछी गई जानकारी
लोकल सर्कल्स के इस सर्वे में 43, 000 लोगों से जानकारी ली गई. ये सभी 43 हजार लोग भारत के 348 अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं. इसमें 61 फीसदी पुरुष और 39 प्रतिशत महिलाएं हैं. इन लोगों से पूछा गया कि बीते एक साल में आप लोगों ने रात में कितनी घंटे की निबार्ध नींद ली है.