भारत में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत कानून की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है। ऐसे कानून के कुछ महत्वपूर्ण पहलू इस प्रकार हो सकते हैं.
कानून में “पत्रकार” शब्द की स्पष्ट परिभाषा होनी चाहिए, जिसमें फ्रीलांस पत्रकार, कैमरामैन और अन्य मीडिया कर्मी भी शामिल हों।
कानून का दायरा ऑनलाइन और डिजिटल मीडिया सहित सभी प्रकार के मीडिया को कवर करना चाहिए।
सुरक्षा प्रावधान:
पत्रकारों पर हमलों और धमकियों को विशेष रूप से संज्ञेय अपराध घोषित किया जाना चाहिए।
ऐसे मामलों की त्वरित और निष्पक्ष जांच के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की जानी चाहिए।
पत्रकारों और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
जवाबदेही और निवारण:
पत्रकारों पर हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए।
सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
पत्रकारों को झूठे आरोपों से बचाने के लिए भी प्रावधान होने चाहिए।
कार्यान्वयन और निगरानी:
कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय निगरानी तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
पत्रकार संगठनों और नागरिक समाज संगठनों को निगरानी प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ का उदाहरण:
हाल ही में छत्तीसगढ़ में “छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक- 2023” पारित किया गया है। यह कानून पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और यह अन्य राज्यों और केंद्र सरकार के लिए एक मॉडल बन सकता है। पत्रकार सुरक्षा कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि पत्रकार बिना किसी डर के अपना काम कर सकें और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका निभा सकें।