बिहार में कहां पहुंचना चाहती है कांग्रेस, किस वोट बैंक पर है लगी हुई है उसकी नजर

कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार की राजधानी पटना पहुंचे. पहले वो बेगूसराय में कन्हैया कुमार की ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’में शामिल हुए. इस यात्रा में बहुत भीड़ उमड़ी. वो पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ में भी शामिल हुए. पिछले तीन महीने में उनकी यह तीसरी बिहार यात्रा है. बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने है. लेकिन बिहार में कांग्रेस की स्थिति ठीक वैसी ही है, कई दूसरे राज्यों में. आइए जानते हैं कि कांग्रेस की बिहार में की जा रही कोशिशों का मतलब क्या है और उसका इसे फायदा होगा या नहीं. 

बिहार में कांग्रेस की कवायद

राहुल इस बिहार यात्रा से पहले कांग्रेस ने प्रदेश में अपने संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव किया. कांग्रेस ने बिहार में अपने प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी को बदल दिया है. दलित समाज से आने वाले विधायक राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं मोहन प्रकाश की जगह युवा नेता कृष्णा अल्लावरु को प्रदेश प्रभारी की कमान सौंपी गई है. प्रदेश में युवाओं की आबादी और बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए कांग्रेस ने वहां पर छात्र राजनीति से संसदीय राजनीति में आए कन्हैया कुमार को सक्रिय किया है. वो इन दिनों  ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ निकाल रहे हैं.

राहुल गांधी बेगूसराय में ‘पलायन रोका, रोजगार दो’यात्रा में शामिल हुए. बेगूसराय कन्हैया कुमार का गृह जिला है. उम्मीद है कि राहुल के इस यात्रा में शामिल होने से कन्हैया कुमार का मनोबल बढ़ेगा. वो वहां से 2019 का लोकसभा चुनाव सीपीआई के टिकट पर लड़े थे. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव दिल्ली से लड़ा था. उसमें भी उन्हें हार मिली थी. लेकिन अब कांग्रेस ने जिस तरह कन्हैया को बिहार में सक्रिय किया है, उसे देखते हुए लगता है कि कांग्रेस कन्हैया को विधानसभा का चुनाव लड़ा सकती है. इसके दो प्रमुख कारण हैं, एक तो कन्हैया का युवा होना और दूसरा उनकी जाति की आबादी.

बिहार में संगठन में बदलाव

बिहार में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है. इसमें कांग्रेस के अलावा राष्ट्रीय जनता दल और वामदल शामिल है. कांग्रेस अब बिहार में राजद का जूनियर पार्टनर बनकर नहीं रहना चाहती है. उसकी कोशिश अब बिहार में अपना आधार बढ़ाने और इन दलों की छत्रछाया से बाहर आने की है. इन्हीं कोशिशों में कांग्रेस बिहार में अपने नेतृत्व में बदलाव कर रही है. पहले तो उसने बिहार का प्रभारी बदला,उसके बाद अपने प्रदेश अध्यक्ष को. बिहार कांग्रेस अध्यक्ष रहे अखिलेश प्रसाद सिंह को लालू यादव का करीबी माना जाता है. वो राजद से ही कांग्रेस में आए थे. उनका झुकाव राजद की ओर अधिक था. इसलिए कांग्रेस ने उनकी जगह पर राजेश राम को अपना प्रदेश अध्यक्ष चुना जिनका परिवार पीढ़ियों से कांग्रेसी है. वहीं कांग्रेस ने शकील अहमद खान को विधानसभा में नेता विधायक दल बना रखा है. इससे कांग्रेस एक बड़े वोट बैंक को मैसेज देने की कोशिश की है.