प्रशांत किशोर ने दी आंदोलन की चेतावनी, बोले-बिहार में पिछले कुछ साल से कोई विपक्ष ही नहीं

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सोमवार को कहा कि बिहार में पिछले कुछ साल से कोई विपक्ष ही नहीं है. हम लोग को लगता है कि हमें विपक्ष बनकर जनता के मुद्दे उठाने की जरूरत है. 3 बड़े मुद्दों पर हम आवाज उठाने वाले हैं. जाति आधारित जन गणना पर पिछले कुछ साल से खूब रोटियां सेंकी गईं हैं. नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के साथ मिलकर इस जनगणना के आधार पर 5 बड़ी घोषणाएं की थी. दो साल बीत गए हैं, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है.
प्रशांत किशोर की पहली मांग
प्रशांत किशोर (PK) ने कहा, ‘‘हमारी पहली मांग राज्य सरकार द्वारा कराई गई जाति आधारित गणना से संबंधित है. मुख्यमंत्री ने 7 नवंबर 2023 को विधानसभा में पेश जाति आधारित गणना रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर 6,000 रुपये प्रति माह से कम आय वाले 94 लाख परिवारों को 2 लाख रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता देने का वादा किया था, लेकिन एक भी परिवार को यह सहायता नहीं मिली है. हम सरकार से एक महीने के भीतर इस पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हैं. इस सर्वेक्षण के आधार पर, आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का वादा किया गया था, उसका क्या हुआ?’
प्रशांत किशोर की दूसरी मांग
पीके के अनुसार, दूसरी मांग दलित और महादलित परिवारों से जुड़े 50 लाख बेघर/भूमिहीन परिवारों को घर बनाने के लिए तीन डिसमिल जमीन देने के सरकार के वादे से संबंधित है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, केवल 2 लाख परिवारों को भूमि आवंटित की गई है और वह भी केवल कागजों पर है और जमीन का कब्जा नहीं दिया गया है. नीतीश कुमार सरकार ने इस मुद्दे पर दलित और महादलित समुदायों के लोगों को धोखा दिया है. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन परिवारों को भूमि पर वास्तविक कब्जा कब मिलेगा.”
प्रशांत किशोर की तीसरी मांग
प्रशांत किशोर ने कहा कि भूमि सुधार सर्वे के नाम पर बिहार में खूब राजनीति की जा रही है. 2013 में शुरू हुआ लैंड सर्वे अभी तक 20% से भी कम जमीन पर ही हो पाया है. सिर्फ इतने ही जमीन का डिजिटलाजेशन हुआ है. जमीन सर्वे का असर ये है कि घर-घर में लड़ाई लगवा दिया गया है. सर्वे के माध्यम से CO और भूमि विभाग से जुड़े लोगों के लिए धन उगाही का नया धंधा शुरू करवाया गया है. पीके ने कहा कि सरकार को उनकी तीन प्रमुख मांगें एक महीने के अंदर पूरी नहीं किये जाने पर वह बिहार में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे.
11 मई से हस्ताक्षर अभियान शुरू होगा
पूर्व चुनावी रणनीतिकार ने दलित और महादलित समुदायों के सदस्यों को तीन डिसमिल जमीन मुहैया करने संबंधी वादे को लेकर भी सरकार से जवाब मांगा. पत्रकारों से बात करते हुए किशोर ने कहा, ‘‘अगर राज्य की राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार हमारी तीन मांगें नहीं मानती है तो जन सुराज 11 मई से राज्य के 40,000 राजस्व गांवों में हस्ताक्षर अभियान शुरू करेगा. 11 जुलाई को, हम एक करोड़ लोगों के हस्ताक्षर के साथ सरकार को एक ज्ञापन सौंपेंगे. अगर तब भी हमारी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो हम मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेंगे, जो इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आखिरी सत्र होगा. किशोर ने राज्य में जारी भूमि सर्वेक्षण भी ‘‘तुरंत रोकने” की मांग करते हुए आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है.
पीएम मोदी के बिहार दौरे पर प्रशांत किशोर
प्रशांत ने कहा कि मोदी 2014 से घोषणाएं ही कर रहे हैं. उनकी कई घोषणा तो मैंने ही लिखी है. मोतिहारी चीनी मिल की 2014 में घोषणा हुई थी और कहा गया था कि जब चीनी मिल बन जाएगा तो इसकी चीनी से चाय पीएंगे, तभी वोट मांगने आएंगे. ग्यारह साल हो गए, वहां के जो नेता हैं, वो उस चीनी मिल के ज़मीन को टुकड़ों में बेचकर अपने नाम कर लिया. मोदी जी आज भी आ ही रहे हैं. 2015 में 30 हज़ार दूं कि 40 हज़ार..करते-करते 1 लाख बीस हज़ार की घोषणा की थी. कहां आया अब तक पैसा? दो-दो बिहार में डिप्टी सीएम हैं. कभी मुरैठा बांधते हैं तो कभी खोलते हैं.
बिहार में हो रही आपराधिक घटनाओं पर पीके
पीके ने कहा कि नीतीश सरकार का इकबाल ख़त्म है. जिस सरकार को मंत्री की पहचान नहीं है, उससे क़ानून व्यवस्था की क्या उम्मीद करेंगे. बिहार में क्राइम के दो बड़े कारण है, शराबबंदी और भूमि सर्वे. प्रशासन का बड़ा हिस्सा शराब छिपाने और बनाने में लगा हुआ है. पैसे वाले शराब माफिया बनकर लूट कर रहे हैं. सूखा नशा इतना बढ़ा है कि ‘उड़ता पंजाब’ के तर्ज पद जल्द ‘उड़ता बिहार’ बनेगा.