यशवंत सिन्हा ने दिया अरुण जेटली के तंज का जवाब, कहा- मैं नौकरी की लाइन में होता तो वो वहाँ नहीं होते

देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बिना नाम लिये “80 की उम्र में नौकरी के उम्मीदवार” बताए जाने के बाद बीजेपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पटलवार करते हुए गुरुवार (28 सितंबर) को कहा, “अगर मैं नौकरी का उम्मीदवार होता तो वो (जेटली को) वहाँ होते ही नहीं।” यशवंत सिन्हा ने बुधवार (27 सितंबर) को इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखकर अरुण जटेली और देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था की कड़ी आलोचना की थी। गुरुवार को अरुण जेटली ने एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में सिन्हा के लेख पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि “वो वित्त मंत्री के रूप में अपना रिकॉर्ड भूल गये हैं।” यशवंत सिन्हा अटल बिहारी सरकार में देश के वित्त मंत्री रहे थे। गुरुवार (28 सितंबर) को ही यशवंत सिन्हा के बेटे और केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने एक लेख में नाम लिए बिना यशवंत सिन्हा की आलोचना की थी। जयंत सिन्हा ने कहा कि कुछ लोग मौजूदा आर्थिक दशा की तथ्यों की अनदेखी और अतिसरलीकरण से गलत व्याख्या कर रहे हैं। नेशनल हेरल्ड अखबार ने जयंत सिन्हा का लेख छपने से बुधवार की शाम को दावा किया था कि जयंत सिन्हा से उनके पिता के लेख का जवाब देने के लिए कहा गया है।

गुरुवार को यशवंत सिन्हा ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में अपने लेख का बचाव करते हुए कहा कि वो अपने बयान पर कायम हैं। यशवंत सिन्हा ने लिखा था, ““अर्थव्‍यवस्‍था तेजी से नीचे जा रही है, ठोकर लगनी तय है। भाजपा में बहुत से लोग यह बात जानते हैं मगर डर की वजह से कुछ बोलते नहीं।” सिन्हा ने आगे लिखा था, ““मैं अपने राष्‍ट्रीय कर्त्‍तव्‍य के पालन करने में असफल होऊंगा अगर मैंने अब वित्‍त मंत्री द्वारा अर्थव्यवस्‍था की दुर्गति के बारे में नहीं बोला। मैं निश्चितं हूं कि मैं जो भी कहने जा रहा हूं वह बड़ी संख्‍या में भाजपा के लोगों की भावनाएं हैं, जो डर की वजह से बोल नहीं रहे। इस सरकार में अरुण जेटली सर्वोत्‍तम और सबसे माहिर समझे जाते हैं। यह 2014 लोकसभा चुनावों से पहले तय था कि वह नई सरकार में वित्‍त मंत्री होंगे। अमृतसर से लोकसभा चुनाव हारना भी उनकी राह का रोड़ा नहीं बना।”

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में यशवंत सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार देश की आर्थिक स्थिति को “पूरी तरह भांप नहीं” पा रही है। यशवंत सिन्हा ने कहा सरकार “समस्या को पहचानने” के बजाय “अपनी तारीफ में व्यस्त है और खुद ही अपनी पीठ थपथपा रही है।” यशवंत सिन्हा ने कहा कि कई सांसदों ने उन्हें बताया कि “संसदीय दल की बैठक में किसी को बोलने या सवाल पूछने नहीं दिया जा रहा है।” सिन्हा ने कहा, “जो लोग कह रहे हैं कि मैं निजी हमला कर रहा हूं उन्हें बता दूं कि ऐसा नहीं है। अगर अर्थव्यस्था की हालत ऐसी है तो इसके लिए वित्त मंत्री जिम्मेदार हैं, न कि गृह मंत्री। मेरे बेटे जयंत सिन्हा को मेरे खिलाफ उतारकर वो मुद्दे को भटकाना चाहते हैं। मैं भी निजी हमले कर सकता हूं लेकिन मैं उनके जाल में नहीं फंसना चाहता।”

जयंत सिन्हा ने टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे अपने लेख में कहा था, “भारतीय अर्थव्यस्था के बदलते चेहरे पर हाल में कई लेख प्रकाशित हुए हैं। दुर्भाग्यवश, ये लेख सीमित तथ्यों के आलोक में अतिसरलीकरण करते हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था में मूलभूत बदलावों पर इनकी नजर नहीं जाती है। इतना ही नहीं एक या दो तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर और दूसरे आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल्याकंन के लिए काफी नहीं हैं। इनसे ढांचागत बदलावों के दीर्घकालीन प्रभावों का पता नहीं चलता।” 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के गठन के समय जयंत सिन्हा वित्त राज्य मंत्री बनाए गये थे। हालांकि बाद में कैबिनेट फेरबदल में उनका मंत्रालय बदल दिया गया।

 बेटे द्वारा जवाब लिखवाए जाने के दावे पर टिप्पणी करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा, “ये राष्ट्र हित का विषय है और इसके आगे बाकी सारे हित गौण हो जाते हैं। अगर इसका कोई आनुषंगिक दुष्प्रभाव (बेटे का राजनीतिक भविष्य) होता है तो होने दीजिए।” यशवंत ने कहा, “ये पिता-पुत्र का या परिवार का मामला नहीं है। इसे पारिवारिक मामले की तौर पर पेश करके कमतर नहीं बनाया जाना चाहिए। मैं इसकी निंदा करता हूं।”  यशवंत सिन्हा ने साफ किया कि उन्होंने इन मुद्दों पर अपने बेटे जयंत सिन्हा से चर्चा नहीं की थी। यशवंत सिन्हा ने कहा कि उन्होंने काफी लम्बे इंतजार के बाद इस मुद्दे पर बोला है। सिन्हा ने कहा कि वो साल 2014 से देख रहे हैं और अब 2017 चल रहा है।

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