यशवंत ने कलई खोली, भाजपा का चुनावी खाका

नोटबंदी के बाद जिस जीएसटी को भाजपा नेता अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं, पूर्व वित्त मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के लेख और बयान के बाद भाजपा के उसी दावे पर चौतरफा हमले हो रहे हैं। तीन दिन पहले दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में भाजपा की कार्यकारणी की बैठक में जीएसटी और प्रधानमंत्री की नीतियों का प्रशंसा की गई। भाजपा ने गुरुवार को गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता व तुष्टीकरण की राजनीति को देश से समाप्त करने की, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘न्यू इंडिया’ की सोच के आधार पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत का खाका पेश किया और भय, भूख व भ्रष्टाचार से मुक्तभारत बनाने के लिए अगले पांच वर्षों के लिए पार्टी की रणनीति सामने रखी।

आर्थिक सुधार के सरकारी दावे की कलई खुलने पर अब यशवंत सिन्हा के बेटे व केंद्रीय सरकार में मंत्री जयंत सिन्हा समेत कई नेता सरकार की ओर से सफाई दे रहे हैं लेकिन यशवंत सिन्हा के दावे को झुठला नहीं पा रहे हैं। इसका लाभ कमजोर मानी जा रही कांग्रेस भरपूर तरीके से उठाने में लग गई है। साल 2014 में अपने बूते बहुमत की सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने उन राज्यों में भाजपा का विस्तार किया है जिनमें भाजपा थी ही नहीं। शाह के अध्यक्ष बनने से पहले छह राज्यों में भाजपा की सरकार थी जिसमें तीन में भाजपा के मुख्यमंत्री और तीन में उपमुख्यमंत्री थे। अब 11 राज्यों में सरकार है और नौ में भाजपा का मुख्यमंत्री व दो में उपमुख्यमंत्री है। भाजपा के सदस्यों की संख्या 11 करोड़ बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बन गई है।

भाजपा अध्यक्ष ने इस दौरान 5.6 लाख किलोमीटर की यात्रा की और आगे यात्रा जारी है। अब पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा और पूर्वोत्तर के राज्यों आदि में भाजपा के विस्तार के ठोस संकेत दिखने लगे हैं। आने वाले महीनों में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता में है। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में पिछली सरकार भाजपा की थी। मेघालय और त्रिपुरा में जीत के प्रयास हो रहे हैं। विधानसभा चुनावों का सिलसिला इस साल के आखिर से शुरू होकर अगले साल के अंत तक चलने वाला है। उसके बाद लोकसभा चुनाव का ही समय आ जाएगा। प्रधानमंत्री ने एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव करवाने की मुहिम शुरू कर रखी है।

इसी जोश में भाजपा की बहुमत की सरकार ने केंद्र में आने पर अपने विधान को बदल दिया। अब भाजपा की कार्यकारणी तीन दिन की नहीं होती है। दिल्ली की बैठक तो कुछ घंटों में सिमट गई। भाजपा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री के भाषण के अलावा बैठक के दौरान एक राजनीतिक प्रस्ताव पारित हुआ। इसमें सबसे पहला विषय ‘एक राष्ट्र, एक कर’ का था। स्वाधीनता के बाद यह जीएसटी के रूप में सबसे बड़ी आर्थिक सुधार पहल है। जीएसटी को लागू करने के बारे में कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों की आलोचना के संदर्भ में गडकरी ने कहा कि जीएसटी लागू करने का काम स्वभाविक रूप से शुरू हुआ है। शुरुआत में थोड़ी समस्या आती है। लेकिन देश की आर्थिक स्थिति इससे बेहतर होगी और आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं को बड़ी सुविधा मिलेगी।

कार्यकारणी की बैठक में जीएसटी जैसे आर्थिक सुधार कार्यक्रम को लागू करने पर प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को धन्यवाद दिया गया। पहले पार्टी में दाएं-बाएं से नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू करने पर सवाल उठने लगे थे। डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी तो शुरू से ही वित्त मंत्री अरुण जेतली के विरोध में बोलते रहे हैं लेकिन यशवंत सिन्हा के इंडियन एक्सप्रेस में लेख और उस पर गुरुवार को विस्तार से मीडिया को बताने से भाजपा के नेता उसी तरह परेशान हां जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र की बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने देश के विकास पर प्रधानमंत्री से उलट राय जता कर भाजपा को सकते में डाल दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार इसे दुहराते रहे हैं कि देश की पहले की सरकारों ने कोई ठोस काम नहीं किया। जबकि सुषमा स्वराज ने कहा कि देश की प्रगति में पिछली सभी सरकारों का योगदान रहा है। कार्यकारणी से पारित राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने एक तरफ विकास कार्यों को आगे बढ़ाया, ग्रामीण आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने की पहल की, साथ ही आतंकवाद का सहारा लेकर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को ध्वस्त करने का प्रयास करने वालों पर कठोर कार्रवाई की।

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