ब्रह्मोस मिसाइलों ने ऑपरेशन सिंदूर में खुद को किया साबित, अब वायुसेना-नौसेना बड़े पैमाने पर करेगी खरीद

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सैन्य बुनियादी ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचाने के बाद ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों ने अपनी क्षमता पूरी दुनिया को दिखा दी है. अब भारत अपने ब्रह्मोस मिसाइलों के जखिरे को और मजबूत करने जा रहा है. भारत और रूस मिलकर जिस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को बनाते हैं, भारतीय सेना उसका मेगा ऑर्डर देने जा रही है.
यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की एक साथ सबसे बड़ी खरीद होगी. न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार शीर्ष रक्षा सूत्रों ने बताया कि एक उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय की बैठक में भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिए बड़ी संख्या में ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के साथ-साथ भारतीय वायु सेना के लिए इन हथियारों के जमीन और हवा से लॉन्च किए जाने वाले वर्जन की खरीद को जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने कहा कि नौसेना अपने वीर श्रेणी के युद्धपोतों (Veer-class warships) को लैस करने के लिए इन मिसाइलों का उपयोग करेगी, जबकि भारतीय वायु सेना अपने रूसी मूल के Su-30 MKI लड़ाकू जेट बेड़े को लैस करने के लिए इनका उपयोग करेगी.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था तो ब्रह्मोस ब्रह्मास्त्र साबित हुआ था. चार दिनों के संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी हवाई अड्डों और सेना छावनियों को पूरी तरह से निशाना बनाने के लिए इन मिसाइलों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था.
हाल ही में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संघर्ष में स्वदेशी हथियार प्रणालियों के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने हमारे स्वदेशी हथियारों की क्षमताओं को देखा. हमारी वायु रक्षा प्रणालियों, मिसाइलों और ड्रोन ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ताकत साबित की है, खासकर ब्रह्मोस मिसाइलों ने.”
पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के पहले चरण में, जब भारत ने पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के आतंकी मुख्यालयों सहित पाकिस्तान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर हमले शुरू किए, तो ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय वायु सेना के लिए पसंद का मुख्य हथियार था, जो बड़ी सटीकता के साथ लक्ष्य पर हमला करता था. ब्रह्मोस ने पाकिस्तानी हवाई अड्डों को और अधिक नुकसान पहुंचाया, और इसलिए पाकिस्तान सेना ने आतंकवादियों और उनके बुनियादी ढांचे की रक्षा करते हुए जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश की.
गौरतलब है कि भारत और लंबी रेंज वाले ब्रह्मोस संस्करणों का निर्माण कर रहा है जो 800 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पहुंच सकेंगे. इसके साथ ही हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 डेवलप किया जा रहा है.