दशहरा 2017 पूजा विधि: ये है शुभ मुहुर्त और इस पूजा विधि से आ सकती है घर में समृधि
भारत वर्ष में मनाए जाने वाले सारे त्योहार किसी ना किसी रुप में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं, लेकिन उनमें सबसे मुख्य त्योहार दशहरा है। हिंदू पंचाग के अनुसार अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी कहा जाता है। ये हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दशहरा यानि विजयदशमी जिसका अर्थ है विजय का दिन। हिन्दुओं में दशहरा का पर्व को बहुत अहम माना जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। दशहरा का अर्थ है दसवीं तिथि, ये नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंनें लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिये भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 21 सितंबर से शुरु हुए और 29 सितंबर को महानवमी के बाद उनका समापन किया जाएगा। फिर दसवें दिन 30 सितंबर 2017 को दशहरा है।
दशहरा 2017 पूजा विधि-
दशहरा के दिन सुबह अपने सभी काम करके एवं स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े पहन लें।
– इसके बाद घर में सभी लोग पूजा की तैयारी में लगें।
– उसके बाद गाय के गोबर से दस गोले यानि गोबर के कंडे बनाए।
– नवरात्रि के पहले दिन जौं बीजे जाते हैं, कंडों पर उन्हें लगाएं।
– कंडों पर दही लगाएं।
– इसके बाद धूप और डीप जलाकर धूप-अगरबत्ती जलाकर, रावण की पूजा की जाती है।
– इस दिन भगवान राम की झाकियों पर जौं चढाने की प्रथा बहुत ही पुरानी है, इसका संबंध सिर्फ शास्त्रों में मिलता है।
-कई स्थानों पर कान के उपर जौं रखने का रिवाज भी होता है।
दशहरा पूजा शुभ मुहूर्त-
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन यानि विजयदशमी 30 सितंबर 2017 को मनाई जा रही है। इस वर्ष 29 सितंबर की रात से ही दशमी तिथि का प्रारंभ हो जाएगा और 1 अक्टूबर 1 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। आप जो भी शुभ काम नवरात्रि में करना चाहते हैं वो नवमी की रात 11 बजे से पहले निपटा लें तो वो शुभ होगा क्योंकि उसके पश्चात दसवें दिन की शुरुआत हो जाएगी। हिन्दु धर्म में दशहरा यानी विजय-दशमी एक ऐसा त्योहार है जिस दिन क्षत्रिय शस्त्र-पूजा करते हैं जबकि ब्राह्मण उसी दिन शास्त्र-पूजा करते हैं।