एलफिंस्टन हादसा: 22 लोगों की मौत के बाद मुंबई रेल कर्मचारियों ने उठाया यह बड़ा कदम

मुंबई के एलफिंस्टन फुटओवर ब्रिज पर शुक्रवार (29 सिंतबर) को मची भगदड़ के बाद आज (30 सिंतबर) मुंबई रेलवे के कर्मचारियों ने दशहरा ना मनाने का फैसला लिया है। भगदड़ में 22 लोगों को मौत हो गई थी जबकि 30 लोग घायल हो गए थे। भगदड़ शुक्रवार सुबह 11:30 से 11 बजे की बीच तब मची जब बारिश की वजह से लोग काफी तादाद में ब्रिज पर थे। पुलिस को शक है कि फुटओवर ब्रिज के पास तेज आवाज के साथ हुए शॉट सर्किट के कारण लोगों में दहशत फैल गई और वह भागने लगे। इसी कारण भगदड़ मच गई। बृहन्मुंबई महानगरपालिका के आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी ने बताया कि 22 शव परेल के केईएम अस्पताल लाए गए। हालांकि एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन हादसे को लेकर एक बड़ा खुलासा और हुआ। दरअसल दो दिन पहले इसी फुट ओवर ब्रिज पर हजारों यात्रियों की भीड़ की तस्वीर शेयर करते हुए फेसबुक पर एक शख्स ने खतरे की बात बताई थी। अब ये कहा जा रहा है कि अगर रेलवे इसपर कोई एक्शन लेता तो आज इतने लोगों की जान नहीं जाती।

घटना पर मुंबई रेलवे के कर्मचारियों ने कहा है कि वो दशहरा पर्व का त्याग करेंगे। इस दौरान केंद्रीय रेलवे मिनिस्टर पीयूष गोयल भी वहां मौजूद थे। कहा जा रहा है कि कर्मचारियों को ये सुझाव देने वाले में लोगों में पीयूष गोयल भी एक थे। एएनआई से गोयल ने कहा, ‘एलफिंस्टन घटना के बाद मुंबई रेलवे के कर्मचारियों ने दशहरा पर्व ना मानने की मेरी अपील को स्वीकार कर लिया है।’

गौरतलब है कि इस हादसे में कई परिवारों ने अपने परिजनों को खो दिया तो कई परिवारों के चिराग ही बुझ गए। हादसे के बाद वहां मौजूद पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई। उनमें से एक किशोर वर्पे (57) भी हादसे के वक्त अपनी बेटी (25) श्रद्धा के साथ ब्रिज पर मौजूद थे। किशोर ने बताया कि जब ब्रिज पर भीड़ ज्यादा थी तब बेटी ने कहा, ‘पापा आप आगे चलिए, मैं भीड़ कम होने के बाद आती हूं। लेकिन ये मेरी बेटी के आखिरी शब्द साबित हुए। वो अब कभी लौटकर नहीं आएगी।’ गौरतलब है कि घटना के वक्त किशोर वर्पे सही सलामत ब्रिज पार कर गए थे लेकिन बेटी पीछे ही छूट गई और बाद में उसकी मौत की खबर आई। किशोर के एक रिश्तेदार ने बताया कि घटना के बाद किशोर दोपहर केईएम हॉस्पिटल के शवगृह पहुंचे जहां उन्हें श्रद्धा की लाश मिली। दूसरी तरफ एक निजी कंपनी में काम करने वाली स्नेहा चौरसिया ने बताया, ‘हादसे के वक्त मैं वहां मौजूद थी। मुझे एलफिंस्टन से चर्चगेट के लिए दूसरी ट्रेन पकड़नी थी। लेकिन बारिश की वजह से ब्रिज पर इतनी भीड़ थी कि लोग अपना हाथ भी नहीं हिला पा रहे थे। लेकिन अचनाक लोग चीखने चिल्लाने लगे। लोग जान बचाने के लिए एक दूसरे को कुचलकर भागने लगे।’

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