चीन को फूंटी आंख नहीं सुहाती भारत और भूटान की दोस्ती: अमेरिकी मीडिया
चीन और भारत के बीच डोकलाम को लेकर तनातनी के बीच अमेरिकी मीडिया ने कहा कि भूटान ने अपने पड़ोसी देश चीन पर कब्जा होते देखा है और इसलिए वो डोकलाम मामले में भारत का साथ दे रहा है। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक लेख में ये बात कही। लेख में कहा कि डोकलाम के पठार को लेकर जारी इस तनाव का कारण चीन का अतिक्रमण है।
चीन भारत और भूटान की दोस्ती में दरारे पैदा करना चाहता है लेकिन उसकी मंशा पूरी होती नजर नहीं आ रही है क्योंकि भूटान भारत का साथ दे रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स में ये लेख Squeezed by an India-China Standoff, Bhutan Holds Its Breath नाम से छपा है। लेख में लिखा गया कि भूटान नहीं चाहता कि वो अगला तिब्बत बने और इसलिए वो भारत के साथ खड़ा है।
लेख में कहा गया कि भारतीय सेना ने कई दशकों से भूटान के ‘हा’ कस्बे में सैन्य एकेडमी बनाई है। यहां सैनिकों को प्रशिक्षित किया जाता है और अच्छी खासी आर्टिलरी भी वहां मौजूद है। यह कस्बा भूटान-चीन विवादित सीमा से 21 किमी दूर है।
वहां सैन्य अस्पताल, गोल्फ कोर्स भी हैं और इससे पता चलता है कि भारत भूटान को सुरक्षा कवच देता है। लेख के मुताबिक चीन और भारत के बीच संघर्ष के हालात हैं और दोनों ही देशों में सीमा विवाद को लेकर पहले भी 1962 री जंग हो चुकी है।
लेख में लिखा कि भारत और भूटान में गहरी दोस्ती है और भारत बहुत मजबूती से वहां मौजूद है। भारत नहीं चाहता कि चीन भूटान पर कब्जा करे। मुख्य रूप से परमाणु संपन्न दोनों देशों के बीच यह गतिरोध भूटान से लगे क्षेत्र के प्रभुत्व का है। यह ऐसे देश की बात है, जिसकी आबादी करीब 8 लाख है और उसकी समृद्धि ‘ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस’ के फॉर्मूले से मापी जाती है।
भूटान की नेशनल असेंबली में विपक्ष नेता पेमा ग्यामत्शो ने कहा कि अगर भारत और चीन के बीच युद्ध होता है तो हम सेंडविच हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि भूटान के संबंध भारत और चीन दोनों से है लेकिन ये वक्त अलग है। पिछले कई दशकों से भूटान ने भारत की दोस्ती स्वीकार की है। भारत ने भूटान के साम्राज्य की रक्षा करने का वचन दिया था, जिसे भूटान ने स्वीकार किया था।
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र 54 किमी का है और दोनों देशों के अपने-अपने दावे हैं। भारत का आरोप है कि चीन सड़क निर्माण से भूटान पर कब्जा करना चाहता है, जबकि कुछ विश्लेषक मानते हैं कि चीन रीफ को आइलैंड में बदलकर दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा पुख्ता करने के लिए ऐसा कर रहा है। लेख में लिखा गया कि विवादित क्षेत्र रणनीतिक रूप से बहिुत अहम है क्योंकि वो ‘नेरो इंडियन वैली’ का हिस्सा है, जो पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ती है।
लेख में लिखा कि भारत इस हिस्से को चिकेन नेक कहता है। भारत को डर है कि चीन उस क्षेत्र पर कब्जा न जमा ले अगर ऐसा होता है तो भारत से वो हिस्सा अलग हो जाएगा।