वीरान सड़कों के बीच बेहतर भविष्य खोज रहा हौजखास गांव

प्रदूषण मानकों का पालन न करने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा 23 सितंबर को 21 रेस्तराओं को सील करने के बाद दिन और देर रात तक गुलजार रहने वाला हौजखास गांव इलाका अब वीरान सा पड़ा है। शहरी कामकाजी जिंदगी से थोड़ा समय निकालकर मौज मस्ती के लिए हौजखास गांव पहुंचने वाले लोग अब दूसरी जगहों का रुख कर सकते हैं, डीपीसीसी की कार्रवाई के कारण कइयों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा और रेस्त्रां मालिक संकट का हल तलाशने में संघर्ष कर रहे हैं।

हौजखास गांव खासकर युवाओं, कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं का पसंदीदा ठिकाना है जो काम के बाद या छुट्टियों वाले दिन यहां का रुख करते हैं और बीयर, शराब, डांस, खानपान के साथ शहरी जीवन की नीरसता को तोड़ते हैं। यहां 120 से अधिक रेस्तरां एवं बार हैं। मूनशाइन कैफे एवं बार के विक्रम सिंह ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि केवल हमारे कारोबार पर ही असर पड़ रहा है, लोगों को यह लग रहा है कि हौजखास गांव बंद हो गया है’। उन्होंने कहा कि हौजखास गांव का भविष्य अंधकारमय लग रहा है। यह जारी रहेगा अगर लोगों को उन जगहों का पता नहीं चलेगा कि जो अब भी खुले हैं।

सिंह ने कहा, ‘जो लोग आते हैं वह सबसे पहले पूछते हैं कि क्या यह जगह खुली है? गुजरे सालों में परिवार भी यहां आने लगे थे। अब अधिकतर लोगों को लग रहा है कि पूरा हौजखास गांव बंद हो गया है’। गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल एवं न्यायमूर्ति सी हरिशंकर के एक खंडपीठ ने दो जनहित याचिकाओं के आधार पर जांच का आदेश दिया था जिसके बाद सीलिंग की गई। सीलिंग के कारण 700 से अधिक लोग बेरोजगार हो गए।

याचिकाकर्ताओं के अनुसार बहुत सारे बार एवं रेस्तरां बिना मंजूरी के चल रहे थे और उन्हें अग्निशमन विभाग जैसे प्राधिकरणों से प्रमाणपत्र नहीं मिले थे। हौजखास सोशल रेस्तरां की संस्कृति प्रबंधक दिशा सुखीजा ने कहा, ‘जगहों को बंद करने के बजाए हर किसी को समस्याओं के हल के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है’। उन्होंने कहा, ‘आपको इन जगहों को बंद करने की बजाए इन समस्याओं के हल के लिए उन्हें समय देना चाहिए, उनकी मदद करनी चाहिए। इससे कारोबार प्रभावित हो रहा है, रोजगार प्रभावित हो रहा है’। सिंह और सखीजा दोनों को उम्मीद है कि स्थिति बदलेगी और चीजें बेहतर होंगी। लेकिन इस समय स्थिति बहुत सकारात्मक नहीं दिख रही।

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