ऑपरेशन ब्लू स्टार: स्वर्ण मंदिर से सामान चुराने के लिए फौजी ने झेली जिल्लत, 33 साल बाद हुआ बरी
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में 33 साल पहले हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान एक आर्मी अफसर पर कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान चुराने के आरोप लगे थे लेकिन 33 साल बाद जलालत झेलने के बाद आरोपी अफसर को आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने बाइज्जत बरी कर दिया है। ट्रिब्यूनल ने आर्मी पर 10 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया है। जिस अफसर पर आर्मी ने आरोप लगाया था उनका नाम के ए सिंह है। ऑपरेशन ब्लू स्टार की सफलता और आंतकी धार्मिक नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले समेत सभी आतंकियों से स्वर्ण मंदिर को सुरक्षित खाली कराने पर के ए सिंह को अशोक चक्र के लिए नामांकित किया गया था। हालांकि, चोरी के आरोप लगने की वजह से के ए सिंह को मेजर पद से ही रिटायर होना पड़ा था।
सेना के अफसर ने अपनी याचिका में कहा कि स्वर्ण मंदिर को आतंकियों के कब्जे से मुक्त कराने के बाद वो और उनकी टीम के लोगों ने वहां से कुल चार इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद किए थे। इनमें एक वीसीआर, एक थ्री-इन-वन म्यूजिक प्लेयर, जापान निर्मित एक डेक और एक रंगीन टीवी था। याचिका में कहा गया है कि ऑपरेशन खत्म होने के बाद सभी बरामद सामान बटालियन मुख्यालय लाए गए थे। तब बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर 26वीं मद्रास यूनिट के लेफ्टिनेंट कर्नल के एम जी पन्निक्कर ने तय किया था कि बरामद सामानों को ऐतिहासिक पल के गवाह के रूप में यूनिट में ही रखा जाय। बाद में ये सामान ऑपरेशनल साइट अमृतसर से जालंधर लाए गए। जब सेना के अफसर ऑपरेशम ब्लू स्टार में मारे गए लोगों के शव भेजने में व्यल्त थे तब कमांडिंग अफसर ने जवानों को निर्देश दिया था कि सामान उनकी गैर मौजूदगी में ही उनके आवास में तत्काल रख दिया जाय।
इसके बाद फिर से वो सामान दूसरे सैन्य अफसर के घर पर रखे गए। इसके बाद के ए सिंह ने कमांडिंग अफसर के सामने इस पर आपत्ति जताई। इसके बाद ब्रिगेड कमांडर ने अफसरों के घरों में तलाशी लेने का एक आदेश जारी किया था। इस तलाशी के बाद सभी सामान मेजर वी गंजू के आवास पर मिले। उसके बाद कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ने इलेक्ट्रॉनिक सामानों को अवैध रुप से रखने के मामले में कमांडिंग अफसर समेत आठ लोगों को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन आर्मी ने दुर्भावनावश सिर्फ मेजर के ए सिंह को ही सजा देने का फैसला किया।
के ए सिंह ने आरोप लगाया कि मंदिर से लाकर अवैध रूप से कई जवानों पर स्टेनगन, नैपकिन्स, बेडशीट, खुखरी और कृपाण रखने के आरोप लगे लेकिन कार्रवाई सिर्फ उन पर हुई, जबकि बाकी लोग प्रोमोशन पाकर अधिकारी बन गए। ट्रिब्यूनल ने के ए सिंह के आरोपों को सही पाया है और अब 33 साल बाद उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर प्रोन्नति देने और उसके सभी लाभों को देने के अलावा 10 लाख रुपये मुआवजा देने का भी फैसला किया है। बता दें कि साल 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लूस्टार में 83 सेनाकर्मी और 492 नागरिक मारे गए थे।