यहां दिखी हिंदू-मुस्लिम एकता, लोगों ने साथ मिलकर मनाया मुहर्रम और दुर्गा पूजा

भागलपुर में रविवार को दिनभर दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर तांता लगा रहा। इसी बीच हल्की बूंदा-बूंदी की वजह से मौसम भी खुशनुमा रहा। लेकिन बारिश की वजह से सुबह से ही लोगों को कुछ दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। यहां बिजली विभाग ने बारिश को लेकर और दुर्गा विसर्जन की जुलूस को लेकर कोई दुर्घटना न हो, इसके चलते सुबह से ही बिजली की सप्लाई रोक दी। जिसके कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि, दुर्गा मूर्ति विसर्जन शांतिपूर्वक निपट गया। त्योहारों को देखते हुए स्थानीय प्रशासन द्वारा कड़ी व्यवस्था देखी गई। खासतौर पर मुहर्रम को लेकर भागलपुर पुलिस की तरफ से सुरक्षा के कड़े बंदोबश्त किए गए।

सौहार्दपूर्ण माहौल कायम रखने के लिए दोनों जुलूस के अलग-अलग रास्ते तय कर दिए थे। जुलूस में किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए प्रशासन ने शांति समिति से सहयोग करने को कहा था। इस बीच डीएम आदेश तितमारे और एसएसपी मनोज कुमार खुद भी जुलूस का मुआयना करते दिखे। विसर्जन और मुहर्रम जुलूस में सड़कों पर रुक-रुक कर साथ चल रहे अखाड़े के कलाबाजी का प्रदर्शन करने वाले पारंपरिक हथियारों के करतब भी दिखा रहे थे, तो कोई फिल्मी धुन पर डांस करता नजर आया। हालांकि, पहले की तरह फूहड़ गाने तो नहीं बज रहे थे, मगर धार्मिक और क्रांतिकारी गाने जरूर बजते दिखे। मसलन —- “जय-जय अंबे मां…ऐसा वरदान दो…कश्मीर के साथ…पूरा पाकिस्तान दो।”, तो कहीं — “हिंदुस्तान में रहना है तो वंदेमातरम कहना होगा।” के नारे लाउड स्पीकर से गूंज रहे थे।

भागलपुर खास संवेदनशील जिला होने की वजह से हुड़दंगियों पर नजर रखने के लिए हरेक प्रतिमाओं के साथ मजिस्ट्रेट और पुलिसबल के जवान चल रहे थे। चौक-चौराहों पर रैफ के जवान अपने वज्र वाहन के साथ मुस्तैद थे।

भागलपुर में प्रतिमा विसर्जन का एक अलग अंदाज है। कुछ प्रतिमाओं को छोड़कर करीब 70-75 प्रतिमाओं का जमावड़ा स्टेशन चौक पर लगता है, फिर वहां से कतारबद्ध हो, शहर के मुख्य रास्तों से गुजरते हुए गंगा घाट पर बाजे-गाजे और ढाक के साथ पहुंचते हैं। इसके बाद बारी-बारी से मूर्तियों को विसर्जित किया जाता है। हालांकि, बिहार प्रदूषण बोर्ड ने एक सेमिनार आयोजित करके मूर्तियों के गंगा नदी में प्रवाहित करने पर रोक लगाया था। बावजूद लोगों ने बोर्ड की सिफारिश को नहीं माना। विसर्जन के बाद गंगा घाटों पर आलम देखने वाला था। घाटों पर पूजा में चढाया गया फूल देखा गया। पूजा की जितनी भी सामग्री होती है, लोगों ने घाटों के किनारें, जहां-तहां फेंक दिया। खैर, प्रशासन को जिस तरह का डर था, ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई। दुर्गा मूर्ति विसर्जन, दशहरा और मुहर्रम, खबर लिखे जाने तक शांतिपूर्वक निपट गया।

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