मेट्रो किराया बढ़ाने को लेकर वाशिंगटन ले सेकर जापान तक की दलीलें
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी यूं ही नहीं कह रहे कि केंद्र सरकार दिल्ली मेट्रो को दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) नहीं बनने देगी। मेट्रो की किराया निर्धारण समिति ने भी केंद्र और दिल्ली सरकार को सौंपी अपनी सिफारिशों में यही कहा था कि अगर समय-समय पर मेट्रो के किराए नहीं बढ़ाए गए तो इसकी हालत भी उस डीटीसी जैसी हो जाएगी जो न केवल सरकार पर, बल्कि आम लोगों पर भी सेवा और सुविधा के मामले में बोझ बन गई है। किराया बढ़ाने की सिफारिश करते समय समिति की ओर से यह दलील भी दी गई कि वाशिंगटन में कुछ समय के लिए इसलिए मेट्रो की सेवाएं रोकनी पड़ीं क्योंकि समय पर किराए नहीं बढ़ाए गए। हालांकि दिल्ली सरकार ने कई दलीलें देकर एक साल पहले भी दिल्ली मेट्रो के किराए में वृद्धि का विरोध किया था।
दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के विशेष आयुक्त केके दहिया ने मेट्रो के किराए में बढ़ोतरी के मुद्दे पर दिल्ली मेट्रो के प्रबंध निदेशक को 30 जून 2016 को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि चूंकि दिल्ली सरकार के पास अभी पर्याप्त संख्या में बसें नहीं हैं, लिहाजा अगर मेट्रो के किराए में ज्यादा वृद्धि हुई तो इसका परिणाम यह होगा कि मेट्रो में सफर करने वाले यात्री दोपहिया वाहनों का विकल्प चुनने को विवश होंगे, जिससे शहर में वायु प्रदूषण की समस्या और बढ़ जाएगी। पत्र में उन्होंने यह भी लिखा कि मेट्रो महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित सवारी है। इसी तरह छात्रों के लिए भी यह पसंदीदा सवारी का माध्यम है। ऐसे में मेट्रो का किराया बढ़ाने का मतलब होगा कि यात्री दूसरे विकल्प तलाशेंगे जिससे मेट्रो के यात्रियों की संख्या में गिरावट आ सकती है। इस पत्र में मेट्रो को यह नसीहत भी दी गई थी कि खुले पैसों की दिक्कत के मद्देनजर मेट्रो का किराया राउंड फिगर (6 रुपए के बदले 5 रुपए या 8 रुपए के बदले 10 रुपए) में कर दिया जाए और नॉन पीक आवर्स में मेट्रो का किराया 50 फीसद तक कम कर दिया जाए ताकि मेट्रो के यात्रियों व उसकी कमाई में कोई कमी न आने पाए।
किराया निर्धारण समिति ने अपनी सिफारिश में लिखा है कि उसने किराया बढ़ाने के मुद्दे पर 14 जून, 2016 को एक सार्वजनिक सूचना जारी कर मेट्रो यात्रियों की राय मांगी थी और 71 फीसद यात्रियों ने किराए में वृद्धि के प्रस्ताव का समर्थन किया था। इस पूरे मामले में दिल्ली मेट्रो द्वारा जारी एक आंकड़ा भी बड़ा दिलचस्प है। इसके अनुसार मेट्रो ने बताया है कि किराए को लेकर एक तथ्य नहीं भूलना चाहिए कि उसने जापान के बैंक से 26,760.28 करोड़ रुपए का कर्ज ले रखा है और अभी महज 3770.79 करोड़ रुपए ही चुका पाया है।