CBI अधिकारियों पर काम का भारी बोझ, 20 फीसदी पद पड़े हैं खाली

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) शायद देश में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाली जांच एजेंसी है। लगभग हर बड़े मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष सीबीआई जांच की मांग करते नजर आते हैं लेकिन इस बात पर कोई भी सरकार ध्यान नहीं देती कि देश की सबसे प्रतिष्ठित जांच एजेंसी के पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई के बीस प्रतिशत पद खाली हैं। खाली पदों में नीचे से लेकर ऊपर तक के पद हैं। जांच अधिकारी औ निगरानी अधिकारियों की कमी की वजह से सीबीआई के काम पर प्रतिकूल असर होता है।

रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई मे चार अतिरिक्त निदेशक के पद हैं जिनमें से तीन खाली हैं और केवल एक पर अफसर मौजूद हैं। इसी तरह सीबीआई में 11 संयुक्त निदेशक के पद हैं जिनमें से 10 खाली हैं और केवल एक पर अधिकारी मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त निदेशक का पद वरिष्ठता के क्रम में तीसरे स्थान पर आता और इस पद पर करीब 18 अफसरों की जरूरत है लेकिन संस्थान के पास पहले से स्वीकृत पदों पर भी अफसर नहीं है, अतिरिक्त पदों की स्वीकृति तो दूर की कौ़ड़ी है। ज्यादातर अधिकारियों के पास एक-दो अतिरिक्त प्रभार हैं।

रिपोर्ट के अनुसार दो संयुक्त निदेशक पद के अफसर अगले दो महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं तो आने वाले समय में बाकी अफसरों पर काम का बोझ और बढ़ जाएगा। सीबीआई ने हिंदुस्तान टाइम्स को कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया लेकिन रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई मौजूदा संसाधनों से हर साल औसतन 700 मामलों की जांच पूरा कर सकती है लेकिन उसके पास करीब 1100 मामले आते हैं।

कांस्टेबल और सब-इंस्पेक्टर स्तर की भर्ती सीबीआई सीधे लेती है यानी ये पद सीधी भर्ती से भरे जाते हैं। लेकिन इससे ऊपर के पदों के लिए सीबीाई केंद्रीय और राज्य पुलिस बल के अफसरो की प्रतिनियुक्ति पर निर्भर है। एसपी या उससे ऊपर के पदों पर अक्सर भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अफसरों की ही प्रतिनियुक्ति की जाती है। ऐसे अफसर सीबीआई में औसतन पांच से सात साल काम करते हैं और उसके बाद अपने मूल कैडर में वापस लौट जाते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई के निदेशक ने पिछले साल अप्रैल में संसद की स्टैंडिंग कमेटी के सामने काम के अतिरिक्त दबाव की बात कही थी। सीबीआई ने कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए मांग की थी कि सीबीआई मे प्रतिनियुक्ति पर तैनात होने वाले केंद्रीय और राज्य पुलिस सेवाओं के अफसरों को कार्यकाल बढ़ाया जाए ताकि अफसरों की कमी के दबाव से निपटा जा सके।

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