गांधी जयंती पर बोले पीएम मोदी- हजार गांधी, एक लाख नरेंद्र मोदी, सारी सरकारें भी नहीं साफ कर सकतीं भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि ऐसे लोग स्वच्छता अभियान का मजाक उड़ा रहे हैं जिन्होंने कभी इसमें हिस्सा नहीं लिया और उन्हें समझना चाहिए कि देश जब किसी बात को स्वीकार कर लेता है, तब चाहे..अनचाहे आपको उसे स्वीकार करना ही होता है। स्वच्छ भारत अभियान के तीन साल पूरा होने पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि स्वच्छता अभियान भारत सरकार का नहीं, देश के सामान्य आदमी का सपना बन चुका है। अब तक जो सफलता मिली है वह देशवासियों की है, सरकार की नहीं। समाज की भागीदारी के बिना स्वच्छता मिशन पूरा नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से हमने बहुत सारी चीजें सरकारी बना दीं। हमें समझना होगा कि जब तक जनभागीदारी होती है तब तक कोई समस्या नहीं आती है और इसका उदाहरण गंगा तट पर आयोजित होने वाला कुंभ महोत्सव है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “1,000 महात्मा गांधी, एक लाख नरेंद्र मोदी, सभी मुख्यमंत्री एवं सरकारें साथ मिलकर आ जाएं तो भी स्वच्छ भारत नहीं हो सकता, बल्कि 125 करोड़ भारतीय मिलकर ही इसे पूरा कर सकते हैं।” स्वच्छता अभियान पर तंज कसने वालों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कुछ लोग ऐसे हैं जो अभी भी इसका ‘स्वच्छता अभियान’ का मजाक उड़ाते हैं, आलोचना करते हैं। वे कभी स्वच्छ अभियान में गए ही नहीं। आलोचना करते हैं, तो उनकी मर्जी, उनकी कुछ मुश्किलें होंगी। लेकिन पांच साल पूरा होने पर मीडिया में यह खबर नहीं आएगी कि स्वच्छता अभियान में किसने हिस्सा लिया, कौन काम कर रहा है… खबर यह आएगी कि कौन लोग इससे दूर भाग रहे हैं और कौन लोग इसके खिलाफ थे। क्योंकि जब देश किसी बात को स्वीकार कर लेता है, तब चाहे..अनचाहे आपको स्वीकार करना ही होता है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता का सपना अब बापू का सपना नहीं रहा बल्कि यह जनमानस का सपना बन चुका है। अब तक जो सिद्धी मिली है, वह सरकार की सिद्धी नहीं है, यह भारत सरकार या राज्य सरकार की सिद्धी नहीं है.. यह सिद्धी स्वच्छाग्रही देशवासियों की सिद्धी है। मोदी ने कहा कि हमें स्वराज्य मिला और स्वरात्य का शस्त्र सत्याग्रह था। सुराज का सशस्त्र स्वच्छाग्रह है। प्रधानमंत्री ने उदाहरण दिया कि एक गांव में शौचालय बनवाया गया। बाद में वहां जाकर देखा तो लोगों ने उनमें बकरियां बांध रखी थी, लेकिन इसके बावजूद हमें काम करना है। समाज का सहयोग जरूरी है। स्वच्छता के लिए जब हाथ साबुन से धोने के अभियान की बात आई तब भी लोगों ने हमें गालियां दीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता अभियान के तीन साल में हम आगे बढ़े हैं। इस कार्यक्रम को तीन वर्ष पहले जब मैंने शुरू किया था, तब मीडिया, राजनीतिक दलों समेत कई वर्गो से मुझे आलोचना का सामना करना पड़ा था। बेशक, इसके लिए लोगों ने मेरी आलोचना की कि हमारी 2 अक्टूबर की छुट्टी खराब कर दी। बच्चों की छुट्टी खराब की। ‘‘मेरा स्वभाव है कि बहुत सी चीजें झेलता रहता हूं। मेरा दायित्व भी ऐसा है, झेलना भी चाहिए। और झेलने की कैपेसिटी भी बढ़ा रहा हूं। हम तीन साल तक लगातार लगे रहे।’’
उन्होंने कहा कि मोदी को गाली देने के लिए हजार विषय हैं। हर दिन कोई न कोई ऐसा करता मिलेगा। लेकिन समाज के लिए जो विषय बदलाव लाने वाले हैं, उन्हें मजाक का विषय नहीं बनाया जाए। उन विषयों को राजनीति के कटघरे में नहीं रखें। बदलाव के लिए हम सभी को जनभागीदारी के साथ काम करना है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के लिए वैचारिक आंदोलन भी चाहिए। व्यवस्थाओं के विकास के बावजूद भी परिवर्तन तब तक नहीं आता है जब तक वह वैचारिक आंदोलन का रूप नहीं लेता है।
बच्चों समेत अन्य लोगों को पुरस्कार प्रदान करते हुए मोदी ने कहा कि चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगिता ऐसे ही वैचारिक आंदोलन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सरकार सोचे कि हम इमारतें बना देंगे और टीचर दे देंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा तो ऐसा नहीं है। घरवाले अगर बच्चे को स्कूल नहीं भजेंगे तो शिक्षा का प्रसार कैसे होगा। ऐसे में समाज की भागीदारी बहुत जरूरी है।