उत्तर प्रदेश; इत्रनगरी के किसान हुए जीएसटी से हलकान
जब बात महक और सुगंध की हो तो उत्तर प्रदेश के कन्नौज का नाम सबसे पहले आता है लेकिन मोदी सरकार की ओर से एक जुलाई को लागू किए जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) ने यहां फूलों की खेती करने वालों को हलकान कर दिया है। नतीजा, देश दुनिया में इत्र की खुशबू पहुंचाने वाले कन्नौज की इत्र फैक्ट्रियां इस वक्त बुरे दौर में पहुंच गई है। कन्नौज में 80 फीसद लोग इत्र के कारोबार से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। यहां इत्र बनाने की करीब 300 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं।
जीएसटी ने बिगाड़े किसानों के हालात
जीएसटी लागू होने के बाद देश के सबसे प्रमुख कन्नौज के इत्र उद्योग में ज़बरदस्त घबराहट है। इसी वजह से मौजूदा वक्त में इत्र उत्पादन के काम पर खासा असर पड़ा है। इत्र व्यवसाय में सबसे अहम भूमिका किसानों की होती है क्योंकि वे इत्र के लिए फूल मुहैया करवाते हैं। लेकिन वह अपनी उपज की लागत ही नहीं निकाल पा रहा है औरकर्ज में डूबा जा रहा है। किसान ओमप्रकाश बताते हैं कि पहले फूल 90 रुपए किलो बिक रहा था लेकिन जब से जीएसटी लागू हुआ है तब से वह 30-32 रुपए किलो बिक रहा है। ऐसे में न तो सिंचाई का पैसा निकल पा रहा है और न ही मजदूरी का। ढाई सौ रुपए मजदूर ले रहा है और फूल की बिक्री 32 रुपए किलो ही है।
किसान गया प्रसाद बताते हैं कि इस समय हम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। फूल के दाम गिरने से धंधा ही खत्म हो गया है। पहले 80-90 रुपए किलो फूल जाता था। जीएसटी लागू होने के बाद 32 रुपए किलो जा रहा है। ऐसे में हम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दुखी हैं इत्र कारोबारी भी
इत्र कारोबारी राजेश कुमार वर्मा बताते हैं कि गुलाब जल और गुलकन्द पर कर लग जाने से फूल व्यापारियों की खरीद बिक्री में काफी फर्क पड़ा है। माल सस्ता जा रहा है। लागत अधिक लग रही है और उसकी कीमत उतनी मिल नहीं पा रही है। जीएसटी लगने से सबसे ज्यादा हम लोगों को नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि पिछली सपा सरकार में उनको काफी फायदा हुआ अब उनको नुकसान झेलना पड़ रहा है। इत्र व्यवसायियों का कहना है कि अगर सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो सैकड़ों साल पुराना इत्र उद्योग चौपट हो जाएगा । इत्र पर जीएसटी की निर्धारित दरों पर पुनर्विचार किए जाने को लेकर ‘कन्नौज इत्र एसोसिएशन’ के पदाधिकारी लखनऊ गए।
मुख्यमंत्री से है मदद की उम्मीद
जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन सौंप कर कहा कि इत्र उद्योग को बचाने के लिए उनकी मदद करें। सूबे के मुखिया ने उन्हें भरपूर मदद का आश्वासन दिया। अगर बात नहीं बनी तो इत्र एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से मिलेगा। अगर इस पर विचार नहीं किया गया, तो देश की पहचान से जुड़े इत्र उद्योग के लिए यह बहुत बुरा होगा। कन्नौज के जिला उद्यान अधिकारी मनोज कुमार का कहना है कि यहां करीब 200 हेक्टेयर इलाके में किसान दमिश्क, गुलाब, बेला और मेहंदी की खेती करते हैं। इसके अलावा इत्र उद्योग से जुड़ी हुई अन्य सामग्रियों को उत्तराखंड आदि राज्यों से उपयोग के लिहाज से मंगाया जाता है।
इत्र एसोसिएशन का कहना है कि पहले हम पर पांच फीसद कर निर्धारित था। टैक्स की वही दर सही थी। मौजूदा जीएसटी दरों से कन्नौज की लगभग तीन सौ इकाइयों पर विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना है। टैक्स दरों पर इत्र व्यवसायियों को एतराज है, जिस पर जीएसटी परिषद ही निर्णय ले सकती है।
पहले होती थी करों में छूट
इत्र उद्योग के कई उत्पादों को पिछली सरकार ने कर मुक्त किया था। गुलकंद, गुलाब जल, केवड़ा जल पूरी तरह से कर मुक्त थे। अब जीएसटी लागू होने के बाद से इन सभी पर 28 फीसद टैक्स निर्धारित किया गया है।