बर्बाद हो गए आलू किसान

कर्ज मे डूबा धरती पुत्र किसान आलू बुआई को लेकर उलझन में है। कारण उत्तर प्रदेश में इस वर्ष आलू की खेती करने वाले बर्बाद हो गए हैं। शीतगृहों मे आलू रखने के कारण किसानों को 35 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।  रालोद के प्रो अब्बास अली ने प्रदेश की योगी सरकार से आलू का समर्थन मूल्य वर्ष 2018 के लिए बुआई से पहले घोषित करने की मांग की है।  भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव दिनेश खोडा ने प्रदेश की योगी सरकार की आलू खरीद नीति को ढकोसला बताया है। हापुड़, अमरोहा, मेरठ वगैरह में 15 अक्तूबर से आलू की बुआई प्रारंभ हो जाएगी। आलू उगाने से लेकर मंडी तक पहुंचने में 350 रुपए प्रति कट्टा का खर्चा आता है। इसमें से 125 रुपए का भाड़ा शीतगृहों का होता है, जबकि इर दफा आलू की जबरदस्त पैदावार होने व आगरा का आलू यहां आने से बाजार मूल्य औसत 200 रुपए प्रति 50 किलो कट्टा रहा।

जनपद के 14 शीतगृहों में 24 लाख आलू के कट्टे हजारों किसानों ने भाव बढने की उम्मीद से रखे, लेकिन वर्ष भर की मंदी में आलू के भाव लगभग पड़े रहे। खुदरा बाजार मे आलू छह से आठ रुपए किलो तक बिका। अभी भी शीतगृहों में 12 लाख आलू कट्टे रखे हुए हैं। इस प्रकार लगभग 24 लाख आलू कटटे पर लगभग 35 करोड़ रुपए नुकसान का अनुमान है। आलू पैदा करने वाले किसानों की रीढ़ आर्थिक रूप से टूट चुकी है। शीतगृह मालिक वीरेंद्र का कहना है कि समस्या है कि किसान के आलू न निकालने पर भाड़े के साथ आलू बाहर फिंकवाने का दो रुपए कट्टा का खर्चा भी लगेगा। किसान नवीन सैनी का कहना है कि आलू बोने से अच्छा खेत खाली रखना रहेगा।

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