कपिल देव’ की पत्नी बनेंगी कैटरीना कैफ, पहली बार बड़े पर्दे पर नजर आएगी ये जोड़ी
बीते साल ही कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक MS Dhoni: The Untold Story आई थी और अब कपिल देव की बायोपिक को लेकर खबरें चल रही हैं। जी हां, बताया जा रहा है कि हिंदी सिनेमा में पूर्व कैप्टन कपिल देव पर बायोपिक बनने जा रही है। फिल्म की कहानी 1983 में टीम इंडिया ने पहला वर्ल्ड की जीत पर आधारित है। इस दौरान कपिल देव टीम इंडिया के कैप्टन थे। इस फिल्म के लीड एक्टर होंगे रणवीर सिंग और एक्ट्रेस कैटरीना कैफ। इस फिल्म को बजरंगी भाईजान और टाइगर जिंदा है के डायेक्टर कबीर खान डायरेक्ट कर रहे हैं। फिल्म में रणवीर सिंह कपिल देव की भूमिका में नजर आएंगे। रणवीर सिंह का किरदार इस फिल्म में काफी चैलेंजिंग होगा, क्योंकि वे टीम इंडिया के कैप्टन होंगे। रणवीर सिंह के अपोजिट में कैटरीना कैफ कपिल देव की पत्नी रोमी देव के किरदार निभाते नजर आ सकती हैं। न्यूज एजेंसी ANI की खबर के मुताबिक कटरीना कैफ इस किरदार को निभाने के लिए काफी एक्साइटिड हैं, लिहाजा उनका नाम ही सबसे आगे है। वहीं कैटरीना ही फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान की फेवरेट एक्ट्रेस हैं। कबीर खान ने कैटरीना के साथ टाइगर जिंदा है, फैंटम और न्यूयॉर्क जैसी फिल्मों में काम किया है।
बताया जाता है कि कपिल देव की कामयाबी के पीछे उनकी पत्नी रोमी का हाथ रहा है। ऐसे में कैटरीना के लिए रोमी का किरदार निभाना काफी मायने रखता है। गौरतलब है कि साल 1983 में कपिल देव की कप्तानी के दौरान टीम इंडिया ने फाइनल में वेस्टइंडीज को 181 रनों से परास्त करते हुए वर्ल्ड कप हासिल किया था। इस दौरान भारतीय टीम के लिए ऐतिहासक उपलब्धि थी। कपिल देव की जिंदगी 1983 के वर्ल्ड कप और उसके बाद भारतीय टीम के कुछ समय तक कोच रहते हुए खासी दिलचस्प रही है। ऐसे में इस फिल्म के जरिए क्रिकेट फैंस को काफी कुछ ऐसी चीजें सुनने और देखने को मिलेंगे, जिसके बारे में सभी अंजान है। आपको बता दें कि कपिल देव ने टीम इंडिया के लिए साल 1978 से 1994 तक क्रिकेट खेला। इसके बाद वे क्रिकेट से रिटायर हो गए।
कप्तान के रूप में 1983 में भारत को पहला क्रिकेट विश्व कप का खिताब दिलाने वाले दिग्गज खिलाड़ी कपिल देव ने कहा कि अंग्रेजी न जानने पर लोगों ने उनके कप्तान होने पर सवाल उठाए थे। कपिल ने एक समारोह में अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हुए इस बात का खुलासा किया। दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, मैं कृषि पृष्ठभूमि से था और मेरे साथी खिलाड़ी सुसंस्कृत (कल्चर्ड) परिवारों से थे। मेरे लिए यह मेरे जीवन का हिस्सा बन गया था, जो मेरे व्यवहार में नजर आता था।
कपिल ने कहा, हमने जब खेलना शुरू किया, तो अधिकतर लोग अंग्रेजी में बात करते थे, हिंदी में नहीं। मुझे जब कप्तान बनाया गया, तो लोगों ने कहा कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती और मुझे कप्तान नहीं होना चाहिए। इसकी प्रतिक्रिया में मैंने कहा कि आप किसी को अंग्रेजी में बात करने के लिए ऑक्सफोर्ड से ले आइए और मैं क्रिकेट खेलना जारी रखूंगा। 1983 विश्व कप की यादों को ताजा करते हुए कपिल ने कहा कि शुरू में हममें आत्मविश्वास की कमी थी, लेकिन कुछ मैचों में मिली जीत ने हमारे आत्मविश्वास को मजबूत कर दिया। कपिल ने कहा, “हमने 1983 में शानदार प्रदर्शन किया। यह सच है कि हम मानसिक तौर पर मजबूत नहीं थे, लेकिन कुछ मैच जीतने के बाद हमारा आत्मविश्वास बढ़ गया। 1983 में आखिरकार हमने खिताबी जीत हासिल की।