छोटे रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा की बड़ी खामियां

इस त्योहारी मौसम में जहां एक तरफ नई दिल्ली और निजामुद्दीन जैसे बड़े रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे प्रशासन कमर कस रहा है वहीं ओखला, सफदरजंग, सरोजनी नगर जैसे छोटे रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा नदारद है। ओखला रेलवे स्टेशन के एक अधिकारी का कहना है कि इस स्टेशन पर हर रोज तीन से चार हजार यात्री आते-जाते हैं। वहीं इसी रेलवे स्टेशन के दूसरे बड़े अधिकारी का कहना है कि यहां 20 से 25 हजार यात्री रोजाना आते हैं लेकिन यहां सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। दूसरा इस स्टेशन पर यात्रियों व स्टेशन कर्मचारियों को जान का खतरा भी रहता है। अधिकारियों का कहना है कि यहां आस-पास बसने वाले लोग नशा आदि करके यात्रियों को नुकसान पहुंचाते हैं और कई बार संगीन वारदातों को अंजाम देने से भी नहीं चूकते हैं। उन्होंने बताया कि यहां रेल पर चढ़ती सवारियों के सामान लूट लिए जाते हैं।

यह स्टेशन सुनसान क्षेत्र में पड़ता है और स्टेशन के अंदर आने वाले रास्ते के आस-पास घनी झाड़ियां हैं। जिस वजह से कई बार लोगों की हत्याएं भी कर दी गईं हैं। नाम न उजागर करने की शर्त पर इस अधिकारी ने बताया कि यहां फुटओवर ब्रिज होने के बाद भी सवारियां पटरी पार करके दूसरे प्लेटफॉर्म पर जातीं हैं। जिससे उनकी जान को खतरा बना रहता है। एक सवारी कान्ता का कहना है कि सवारियां अगर पटरी पार करती हैं तो उन्हें रोकने की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। उसने बताया अमूमन यहां कोई पुलिस वाला कभी दिखाई नहीं देता। रोहतक जाने वाली संतोष का कहना है कि ये एक छोटा रेलवे स्टेशन है लेकिन पलवल, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन आदि जाने वाली हजारों सवारियां आती हैं। इन सवारियों के लिए कोई मेटल डिक्टेटर या स्कैनिंग मशीन नहीं है। जिससे कि यात्रियों की जांच की जाए। इसलिए कई बार यहां आने में डर लगता है कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए!

 ओखला के अलावा सफदरजंग और सरोजनी नगर रेलवे स्टेशन भी सुरक्षा के लिहाज से बहुत सुरक्षित नहीं है। सफदरजंग रेलवे स्टेशन के एक कर्मचारी ने बताया कि वैसे तो यह स्टेशन वीवीआइपी है, सुरक्षा और साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है लेकिन स्कैनिंग मशीन और मेटल डिटेक्टर तभी चलाया जाता है जब कोई वीवीआइपी आता है। बाकी समय में यह बंद रहता है। सरोजनी नगर रेलवे स्टेशन हो या सफदरजंग दोनों ही दक्षिणी दिल्ली के रिहायशी क्षेत्र में आते हैं लेकिन बावजूद इसके यहां बड़े रेलवे स्टेशनों के मुकाबले सुविधाएं कम हैं। सरोजनी नगर रेलवे स्टेशन के इंजीनियर विभाग में काम करने वाली एक कर्मचारी ने बताया कि इस स्टेशन पर चोरी, मारपीट, लूटपाट आम बात है। यहां छात्र-छात्राएं आकर सिगरेट, ड्रग्स, शराब जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। कई बार छात्रों के अलावा और भी नशेड़ी आकर यहां की सुरक्षा में सेंध लगाते हैं। लेकिन रेलवे प्रशासन के पास किसी भी वारदात को अंजाम देने वालों की पहचान करने का कोई इंतजाम नहीं है। पिछले दिनों मुंबई में एलफिन्सटन रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर भगदड़ से 22 लोगों की मौत हो गई। लेकिन रेलवे ऐसी किसी घटना से सबक लेने को तैयार नजर नहीं है। बहरहाल बड़े रेलवे स्टेशनों को छोड़ दें तो छोटे रेलवे स्टेशनों की हालत तो बेहद खस्ता है।यात्रियों को नुकसान पहुंचाते हैं नशेड़ी, वारदात के बाद पहचान करने का प्रशासन के पास नहीं है कोई इंतजाम

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