20 केंद्रीय विभागों की समीक्षा रिपोर्ट में जल संसाधन मंत्रालय अव्वल, उमा भारती को गया क्रेडिट
हिंदी को बढ़ावा देने में एक बार फिर केंद्र सरकार पिछड़ी दिखाई दी। कई अहम मंत्रालयों जैसे गृह मंत्रालय, नीति आयोग और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में भी आधिकारिक काम हिंदी में नहीं हो रहा है। यह बात हाल ही में 20 केंद्रीय विभागों की समीक्षा में सामने आई है। नरेंद्र मोदी कैबिनेट के विस्तार से पहले यह समीक्षा हुई थी। जिस मंत्रालय ने इस मामले में सबसे अच्छा काम किया, वह उमा भारती का जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मंत्रालय में 58 प्रतिशत फाइल नोटिंग्स हिंदी में की गईं। 44 में से 40 अफसर अपना 70 प्रतिशत आधिकारिक काम हिंदी में करते हैं। रिव्यू में मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अधिकारी ने इसका श्रेय उमा भारती को दिया। उन्होंने कहा, वह खुद हिंदी बोलती हैं, इसलिए मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी हिंदी में काम करने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक गृह मंत्रालय भी इस मामले में काफी पीछे है। हैरानी की बात है कि आधिकारिक भाषाओं का विभाग गृह मंत्रालय के तहत ही आता है और यही हिंदी के इस्तेमाल को बढ़ावा देता है। रिव्यू में पाया गया कि गृह मंत्रालय के 112 वरिष्ठ अधिकारियों, जिन्होंने कहा था कि वह हिंदी जानते हैं, उनमें से 49 अपना 30 प्रतिशत से भी कम काम हिंदी में करते हैं। जबकि अन्य 38 सिर्फ 30-70 प्रतिशत काम के लिए हिंदी का उपयोग करते हैं।
रिव्यू में पाया गया कि गृह मंत्रालय में करीब 55 प्रतिशत फाइल नोटिंग हिंदी में बनाई गई, लेकिन मंत्रालय ने एक बड़े नियम का उल्लंघन कर दिया। मंत्रालय के जो 254 आधिकारिक खत हिंदी में मिले थे, उसका जवाब अंग्रेजी में दिया गया। इसके अलावा वेबसाइट पर ज्यादातर जानकारी अंग्रेजी में होने के कारण भी उसकी आलोचना हो रही है। नीति आयोग के करीब 59 वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया था कि उन्हें हिंदी आती है। लेकिन वहीं भी 70 प्रतिशत या उससे अधिक काम हिंदी में करते हैं। यहां सिर्फ 35 प्रतिशत फाइल नोटिंग ही इस भाषा में तैयार होती है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्थिति भी अलग नहीं है। यहां भी 35 प्रतिशत फाइल नोटिंग हिंदी में तैयार होती है और 98 में से 36 अफसर ही 70 प्रतिशत या इससे अधिक काम हिंदी में करते हैं।