JNU के सात पूर्व प्रोफेसरों का आरोप, कुलपति कर रहे मनमानी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सात पूर्व प्रोफेसरों ने कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के खिलाफ बयान जारी कर सामाजिक अध्ययन संस्थान (एसएसएस) में डीन की नियुक्ति को लेकर वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पूर्व में ऐसे निर्णय कभी नहीं लिए गए हैं और इस तरह के फैसले विश्वविद्यालय के लिए सही नहीं है। प्रोफेसर अनिल भट्टी, प्रोफेसर दीपक नैयर, प्रोफेसर एचएस गिल, प्रोफेसर प्रभात पटनायक, प्रोफेसर रोमिला थापर, प्रोफेसर उत्सा पटनायक और प्रोफेसर जोया हसन ने संयुक्त रूप से कहा कि हम जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर वर्तमान कुलपति एम जगदीश कुमार के विरोध में यह बयान जारी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान कुलपति वर्षों से चली आ रहीं परंपराओं और प्रथाओं के खिलाफ काम कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि जब हम विश्वविद्यालय में थे तब न सिर्फ विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता को कायम रखा बल्कि कामकाज में विश्वविद्यालय की अकादमिक स्वायत्तता को भी कायम रखा। सातों पूर्व प्रोफेसरों ने सामाजिक अध्ययन संस्थान (एसएसएस) के डीन की नियुक्ति में पांच वरिष्ठ प्रोफेसरों की अनदेखी कर छठे की नियुक्ति को गलत ठहराया है। इसकी वजह से कुलपति को शिक्षकों का विरोध झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा कि किसी भी पूर्व कुलपति ने ऐसा नहीं किया है।
बयान में प्रोफेसर निवेदिता मेनन के मामले का भी जिक्र है। उन्हें कथित दुर्व्यवहार को लेकर हाल में सेंटर फॉर कंपरेटिव पॉलिटिक्स एंड पॉलिटिकल थ्योरी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। तीन अक्तूबर को दो जाने-माने शिक्षाविदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर ‘जेएनयू में सार्थक बहस के माहौल’ को फिर से कायम करने की मांग की थी। पत्र के साथ एक याचिका भी दी गई। इस पर हार्वर्ड और कोलंबिया विश्वविद्यालय सहित दुनिया के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के शिक्षाविदों, कलाकारों और वकील सहित अन्य लोगों के हस्ताक्षर हैं। जेएनयू शिक्षक संघ और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व और वर्तमान पदाधिकारी कई मुद्दों पर परिपाटी से हटने को लेकर कुलपति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।