70 साल बाद खुल सकती है महात्मा गांधी की हत्या की फाइल, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मुंबई के अभिनव भारत ट्रस्ट के शोधकर्ता और ट्रस्टी पंकज फडनिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की फाइल दोबारा खोलने की गुजारिश की है। याचिकाकर्ता ने गांधी जी की मौत को सबसे बड़ा कवर-अप बताते हुए केस की दोबारा जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर आज (शुक्रवार, 06 अक्टूबर को) सुनवाई की और याचिकाकर्ता से कई सवाल पूछे। कोर्ट ने पूछा कि मामले में दो दोषियों की मौत हो चुकी है और केस से जुड़े तमाम लोग मर चुके हैं। ऐसे में इस केस को दोबारा खोलने का क्या कोई कानूनी औचित्य है? कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि क्या इस मामले में कोई नया सबूत है?
अब कोर्ट 30 अक्टूबर को महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच कराई जाय या नहीं, इस पर सुनवाई करेगा। कोर्ट ने पूर्व एडिशनल सोलिसिटर जनरल अमरेंद्र शरण को मामले में एमिकस क्यूरी बनाया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि अगर दोबारा हत्याकांड की जांच हुई तो गांधी जी की हत्या की साजिश का बड़ा खुलासा हो सकता है। याचिकाकर्ता ने यह भी सवाल उठाए हैं कि गांधी जी की मौत के लिए विनायक दामोदर सावरकर को जिम्मेदार ठहराने का कोई वाजिब आधार है भी या नहीं? बता दें कि अक्सर कहा जाता रहा है कि गांधी जी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं लेकिन क्या चौथी गोली भी गांधी जी पर चली थी और उसे किसने चलाया था? ये सवाल भी याचिका में उठाया गया है।
गौरतलब है कि 15 नवंबर 1949 को गांधी जी की हत्या के दोषियों को फांसी दे दी गई थी। हालांकि, सावरकर को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ मिला था। याचिका में कहा गया है कि साल 1966 में गठित जस्टिस जे एल कपूर ज्यूडिशियल कमीशन गांधीजी की हत्या की साजिश का खुलासा करने में नाकाम रही थी। लिहाजा, वो साजिश अभी तक अनसुलझी है।
सावरकर के विचारों से ही प्रेरित होकर साल 2001 में अभिनव भारत की स्थापना की गई थी। तब इस संस्था ने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए काम करने का दावा किया था।