AAP एमएलए से प्रेरित होकर उम्मीदवारों को दे दिया एक करोड़ में EVM हैक करने का ऑफर, हुआ देशद्रोह का केस

अश्विनी शर्मा

ईवीएम से छेड़छाड़ का अॉफर देने वाले पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज के 22 वर्षीय एक छात्र को 9 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आरोप है कि उसने कथित रूप से हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में खड़े हुए कुछ उम्मीदवारों को संदेश भेजकर ईवीएम में छेड़छाड़ करने का अॉफर भेजा था। सचिन को शिमला पुलिस ने देशद्रोह (सेक्शन 142-ए) के आरोप में गिरफ्तार किया था। पिछले हफ्ते सचिन राठौर नाम के शख्स को शिमला लाया गया था। पुलिस ने उसके द्वारा उम्मीदवारों को की गई कॉल्स को ट्रेस कर पुणे के नांदेड से उसे पकड़ा था। पुलिस ने बताया कि उसने एेसा आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज से प्रेरित होकर किया, जिन्होंने पंजाब विधानसभा चुनावों के बाद मई में ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ करने का लाइव डेमॉन्स्ट्रेशन दिया था।

राठौर ने कहा, ”मुझे लगा कि यह आसानी से पैसा कमाने का अच्छा तरीका है, जिससे मैं यूपीएससी की तैयारी और आगे की पढ़ाई जारी रख सकता हूं”। एक पुलिस अफसर रघु तोमर ने कहा, ”राठौर ने बीजेपी और कांग्रेस के कई वर्तमान विधायकों को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान मैसेज भेजे थे। इसके अलावा तीन विधायकों के हक में ईवीएम हैक करने का अॉफर दिया था। इसके लिए उसने 1 करोड़ रुपये की मांग की थी। पुलिस ने बताया कि राठौर इससे पहले महाराष्ट्र स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज की असफल परीक्षाएं दे चुका है। उसने नांदेड के नगर निगम चुनावों में भी धोखाधड़ी करने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें भी उसे कामयाबी नहीं मिली थी।

उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से बीजेपी को मिली जीत के बाद अन्य विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने मई में ईवीएम से छेड़छाड़ की विपक्षी पार्टियों की शंकाओं को दूर करते हुए ईवीएम के निर्माण, मतदान, उन्हें लाने-ले जाने या एक जगह इकट्ठा किए जाने के दौरान उनसे छेड़छाड़ की संभावनाओं को खारिज किया था। पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) नसीम जैदी ने कहा कि मशीनों की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों के दिमाग में शंका पैदा करने वाले लोग कोई भी पुख्ता जानकारी नहीं दे पाए, जो ईवीएम के हैक होने के उनके दावों का समर्थन कर सकें। उन्होंने कहा था कि मशीन में न तो कोई चिप है और न ही कोई डेटा स्टोर किया गया है, जिससे किसी बाहरी उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, ब्लूटूथ तथा बाहरी वायरलेस, वाई-फाई और इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से छेड़छाड़ की जा सके।

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