बब्बन मियां 50 सालों से कर रहा है गो सेवा, बीमार गायों की करते हैं देखभाल

यहां की स्याना तहसील के चंदियाना के जुबैदुररहमान खान उर्फ बब्बन मियां का गोप्रेम किसी मिसाल से कम नहीं है। बब्बन का परिवार 50 साल से गो सेवा कर रहा है। बब्बन मियां बताते हंै उनकी मां हमीदुन्निसा बेगम को गायों से अथाह प्रेम था। आस पड़ोस की किसी भी गाय के अस्वस्थ होने की खबर जब उन्हें मिलती तो वह अपने सारे कामकाज छोड़कर गायों के उपचार में लग जाती थीं। गायों के इलाज का पूरा खर्चा वह खुद उठाती थीं। अपनी मां के गोप्रेम से प्रेरित होकर बब्बन मियां ने अपने पैतृक गांव चंदियाना में गायों की सेवा के लिए मधुसुदन नाम से गोशाला स्थापित की है। यह गोशाला दो एकड़ में है। गोशाला में 35 गाएं हैं। सिर्फ बब्बन मियां ही नहीं बल्कि उनकी पत्नी व दोनों बेटे भी गोसेवा में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं।

बब्बन मियां बताते हैं लगभग 400 साल पहले उनके पूर्वज अफगानिस्तान से गंगा के किनारे बसे बसी बांगर गांव में आए थे। बसी, चंदियाना, बुगरासी समेत इलाके के 12 गांव पठान बाहुल्य हैं। वह बताते हैं अस्वस्थ गायों को गोशाला लाने के लिए गोशालाकर्मी आसपास के गांवों में जाते रहते हैं। कभी कभी पशुपालक खुद भी अपनी गायों को गोशाला ले आते हैं। इन गायों के खानपान व देखरेख पर सालाना लगभग 12 लाख रुपए का खर्चा आता है। यह खर्चा बब्बन मियां अपनी जेब से उठाते हैं। गायों की पशु चिकित्सक द्वारा नियमित जांच कराई जाती है। जरूरत पड़ने पर टीका भी लगवाया जाता है।

बब्बन मियां कहते हैं उन्हें और उनके परिवार को गो सेवा करने से जो खुशी मिलती है, उसे लफ्जों में बयां कर पाना मुश्किल है। वह गो सेवा को अपने परिवार और कारोबार की तरक्की की वजह मानते हैं।बब्बन मियां का कहना है कि सभी धर्मों और जातियों के लोगों को भेदभाव भुलाकर गो सेवा में लगना चाहिए। गाय हमारी संस्कृति, सभ्यता और एकता का प्रतीक है। गाय हमारी मां समान है।

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