बिहार में दहेज की बलि चढ़ गयी एक और बेटी: पुलिसकर्मी पति ने ही तेजाब पिला कर मार डाला, हुआ फरार

दहेज की बलि चढ़ गयी बिहार की एक और बेटी. मीडीया से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार मृतक बेटी रजनी की लाश भागलपुर के नाथनगर चौराहे पर रख उसके मायके वालों ने उसके पति धर्मवीर भारती व सास , ससुर , ननद, देवर, देवरानी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मंगलवार को घंटो आवाजाही रोक दी। पुलिस पर भी ढिलाई बरतने का आरोप लगाया। मृतक रजनी का पति पुलिस की नौकरी में है। शादी के वक्त वह मुंगेर एसपी का अंगरक्षक था। इसकी शादी 2014 में हुई थी। तब से ही यह दहेज के लिए प्रताड़ित करता था। बीती 31 मार्च को तो प्रताड़ना की सारी हदें पार कर दी। पहले तो उसकी खूब पिटाई की । फिर उसे तेजाब (एसिड) पीने को मजबूर कर दिया। रजनी को 14 महीने का बेटा भी है। उसे भी वे अपने कब्जे में कर फरार है। इन सब बातों का जिक्र मृतक की मां नीलम देवी व भाई पंकज कुमार ने थाना अकबरनगर में दर्ज कराई एफआईआर में किया है।

और तो और पटना में इलाज के दौरान इतवार को रजनी की मौत हो जाने के बाद निजी अस्पताल का बिल एक लाख तीस हजार रुपए बगैर चुकाए लाश को लावारिश छोड़ फरार हो गए। बाद में नाथनगर से उसके मायके वालों ने जाकर श्रीराम अस्पताल से बेटी की लाश किसी तरह छुड़वाई। यह नाथनगर के सतीश रजक की सबसे छोटी व चौथी बेटी है। बेटी की मौत पर परिवार के लोग बुरी तरह मर्माहित है।

मायके वालों का कहना है कि शादी के बाद से ही उसके साथ लगातार मारपीट और सितम ढहाने का सिलसिला शुरू हो गया था। 31 मार्च को मारपीट कर तेजाब पिलाया गया तो रजनी की हालत बिगड़ गई। तो उसे जवाहरलाल नेहरू भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती ससुराल वालों ने कराया। जहां थाना बरारी की पुलिस ने पीड़िता का बयान दर्ज किया है। यह बात थाना अकबरनगर के प्रभारी विकास कुमार सिंह बताते है। अपने बयान में भी ससुराल वालों पर उसने आरोप लगाया है।

हालत बिगड़ती देख डाक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए पटना ले जाने की सलाह दी। पटना ले भी गए। मगर उसका इलाज तरीके से नहीं कराया । आखिरकार उसकी मौत हो गई। यह आरोप उसके मायके वालों का है। इन सब बातों की जानकारी पुलिस को दी गई। मगर पुलिस अपने साथी को बचाने में लगी है। तभी 31 मार्च के वाकए के बाद भी पुलिस सुस्त पड़ी रही। इसी वजह से आज मंगलवार को इनका गुस्सा फूटा। सिटी डीएसपी शहरयार अख्तर बताते है कि मौके पर डीएसपी कानून व्यवस्था व खुद पहुंच समझाया और गिरफ्तारी का भरोसा दिलाया तब उनका गुस्सा शांत हुआ।

दरअसल 17 मार्च को नाथनगर में हुए कौमी फसाद की वजह से हालात काबू में करने में प्रशासन के पसीने छूट गए थे। आज मंगलवार को अचानक हुए इस सड़क जाम के वाकए ने जिला प्रशासन खासकर एसएसपी के कान खड़े कर दिए। और फौरन सिटी डीएसपी को भेज असलियत का पता करवाया। तो राहत मिली।

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