ग्रेटर नोएडा: बेखौफ होकर बनाई जा रही हैं अवैध इमारतें, अपनों के जिंदा निकलने की आस

गाजियाबाद और नोएडा से सटे ग्रेटर नोएडा पश्चिम के गांव शाहबेरी की जीवन ज्योति कॉलोनी में रात करीब साढ़े 10 बजे एक ही परिसर में स्थित दो इमारतें धराशाई हो गईं। छह मंजिला इमारतों में रहने वाले 12 परिवारों के सदस्यों व चार मजदूरों समेत 50 से भी ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका है। हादसे का बाद प्रशासन ने दावा किया है कि दोनों इमारतें अवैध रूप से बनाई गई थीं। एक इमारत तैयार हो चुकी थी, जबकि दूसरी का काम चल रहा था। दोनों इमारत खसरा नंबर पांच पर दर्ज है, जो गाजियाबाद के रहने वाले गंगा शरण द्विवेदी के नाम पर है।

शाहबेरी गांव की जमीन का अधिग्रहण सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2011 में रद्द कर दिया था। इसके बाद गांव में बड़ी संख्या में भूमाफिया और अवैध फ्लैट माफिया सक्रिया हो गए। जिन्होंने किसानों से सस्ती दर से जमीन खरीदकर ऊंची-ऊंची इमारतें बना दी। जिनके ना तो नक्शों की मंजूरी ली और ना ही किसी वास्तुविद से सत्यापान कराया। कम कीमत वाले फ्लैट तैयार
करने के चलते निम्न गुणवत्ता वाली निर्माण सामग्री का उपयोग किया। फ्लैट बनाने वाले माफिया मोटा मुनाफा लेकर फ्लैट बेचकर गायब हो गए हैं। शाहबेरी गांव की करीब 158 हेक्टेयर जमीन की खरीद-फरोख्त और निर्माण को प्रशासन ने अधिग्रहण करने के लिए धारा-7 की कार्रवाई प्रकाशित कर अवैध घोषित किया हुआ है। साथ ही लोगों को यहां बने फ्लैट और जमीन को अवैध बताकर लोगों को खरीदने से सचेत भी किया है। इसके बावजूद यहां पर दिन और रात काम कर बड़ी-बड़ी भवन खड़ी कर दी गई।

मलबे से अपनों के जिंदा निकलने की आस

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मंगलवार रात को भवन गिरने के हादसे ने कई परिवारों की जिंदगी में भूचाल ला दिया। भवन में रहने वाले परिवार के सदस्य अपनों को कभी मलबे में तो कभी अस्पतालों में बहते आंसूओं के साथ तलाश रहे हैं। हादसे के शिकार कई परिवार ऐसे हैं, जो केवल दो दिन पहले ही यहां रहने आए थे। मूलरूप से यूपी के मैनपुरी निवासी शिवम त्रिवेदी अपने परिवार के साथ दिल्ली के हौजखास में रहते थे। यहां शिवम पेस्ट कंट्रोल कंपनी में प्रबंधक के रूप में काम करता है। शिवम ने बताया कि वह दिल्ली के हौजखास में रहते थे। इसी साल अप्रैल में उसने शाहबेरी की ज्योति कॉलोनी की अवैध भवन में 22 लाख रुपए में 2 बीएचके फ्लैट लिया था। शिवम परिवार के साथ शनिवार को ही छह मंजिला इस भवन में बने अपने 2 बीएचके मकान में अपनी मां, पत्नी और एक साल की बेटी के साथ यहां रहना शुरू किया था।

पूरा परिवार नई उम्मीद के साथ फ्लैट में रह रहा था। मंगलवार को रोज की तरह शिवम अपने आॅफिस गया था। रात में जब वह लौटा तब तक इमारत गिरने से उसका पूरा परिवार दब गया। अब तक उसकी की मां, पत्नी और बेटी का अब तक कुछ पता नहीं लग सका है। शिवम की रिश्तेदार नेहा ने बताया कि उनकी मंगलवार रात करीब 8.30 बजे इमारत में मौजूद शिवम की मां और पत्नी से वीडियो कॉल पर बात की थी। सभी लोग नए मकान में शिफ्ट होने के बाद बहुत खुश थे। मां बार-बार अपने बेटे के मकान लेने पर खुशी जाहिर कर रही थी। लेकिन उसके कुछ देर बात ही इमारत गिरने के बाद से परिवार का अब तक कुछ पता नहीं लग सका है। इसी तरह इमारत में रहने वाले रंजीत के परिजनों का भी कुछ पता नहीं लग पा रहा है। हादसे के बाद रंजीत, शिवम समेत काफी लोग अपनों को तलाश रहे हैं। वह कभी अस्पताल और कभी इमारत के मलबे में अपनों को तलाश रहे है। लेकिन अब तक कुछ पता नहीं लगा सकता है। लोगों ने मलबे में 30-40 लोगों के दबे होने की आशंका जताई है।

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