माओवादियों द्वया 15 साल पहले छिनी गई बिजली ज़बानों के संघर्ष के बाद फिर से लौटी
माओवादियों के आतंक से 15 साल से अंधेरे मे डूबा छत्तीसगढ़ का यह गांव फिर से जगमगा उठा है . अब से करीब पंद्रह साल पहले छत्तीसगढ़ के इस गांव में बिजली व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो गई थी, लेकिन अब एक बार फिर यहां रौशनी आई है। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के इस गांव की दास्तान यह है कि यहां माओवादियों ने लोगों से रौशनी छिन ली थी लेकिन अब इस गांव में बिजली फिर से लौट आई है। 1 5 साल पहले माओवादियों ने यहां बिजली के खंभों और तारों को तबाह कर दिया था। लेकिन अब यहां बिजली फिर से आ गई है।सुकमा से 80 किलोमीटर दूर बसे इस गांव का नाम चिंतलनार है। इस गांव में कभी माओवादियों का भयंकर आतंक था। लेकिन अब यहां जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है।
बिजली के आने के साथ ही गांव के लोगों में इस बात की उम्मीद बढ़ी है कि अब यहां विकास की बयार बहेगी। चिंतलनार गांव को बिजली से जोड़े जाने पर गांव वाले काफी खुश हैं। गांव वालों ने न्यूज एजेंसी एनएनआई से बातचीत करते हुए कहा कि गांव में बिजली पहुंचाना उनके लिए बेहद ही खुशी की बात है। अब रात में उनके बच्चों के लिए पढ़ाई करना भी आसान हो गया है। लोगों का कहना है कि अब वो टीवी और फ्रिज का इस्तेमाल भी कर सकेंगे। स्थानीय लोगों ने बातचीत के दौरान बतलाया कि पहले हमारे पास सोलर बिजली की व्यवस्था थी लेकिन इससे हमारी सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं।
चिंतलनार गांव उस वक्त सुर्खियों में आया था जब वर्ष 2010 में माओवादियों ने यहां 76 जवानों की हत्या कर दी थी, यह सभी जवान इस गांव में ही तैनात थे। नक्सलियों ने यहां भारी उत्पात भी मचाया था। बिजली व्यवस्था को ध्वस्त कर देने की वजह से गांव के लोग अंधेरे में रहने को मजबूर थे। राज्य मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा, ‘चिंतलनार और जगरगुंडा जैसे गांव बरसों से अंधेरे में जी रहे थे। नक्सलियों ने यहां पहले से मौजूद बिजली व्यवस्था को तबाह कर दिया था। नक्सली नहीं चाहते थे कि इन गांवों में कभी बिजली आए। इन इलाकों में बिजली, रोड और संचार सेवाएं पहुंचाने में हमारे कई जवानों ने अपनी जान दी, उनकी शहादत बेकार नहीं जाएगी। आपको बता दें कि राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी गांवों को जून 2018 तक बिजली से जोड़ने की योजना भी बनाई है।