AIIMS का तोहफा देने का हवाला देकर वोट मांग रही है भाजपा

शक्ति उपाध्याय
तेरहवीं विधानसभा के लिए नौ नवंबर को होने वाले मतदान के लिए बिसात बिछ चुकी है। इन चुनावों में बिलासपुर जिले का सदर हल्का महत्वपूर्ण सीट बना है। यहां से केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा तीन बार विजयी होकर हिमाचल सरकार में अहम ओहदों पर रह कर अपना लोहा मनवा चुके हैं। नड्डा पहली बार सन 1993 में भाजपा के टिकट पर जीत कर विपक्ष के नेता बने थे। फिर 1998 में इन्हें स्वास्थ्य महकमे की जिम्मेदारी मिली। 2007 में भाजपा सरकार में इन्हें वन मंत्रालय सौंपा गया। यहां से नड्डा राज्यसभा के लिए चुने गए तथा उन्हें केंंद्र में स्वास्थ्य मंत्री के ओहदे से नवाजा गया। इसके साथ ही नड्डा को केंद्र में अहम जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें चुनाव समिति के अलावा संसदीय बोर्ड का सदस्य भी बनाया गया है। यदि इस चुनाव क्षेत्र की बात की जाए तो यहां कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के प्रतिनिधि विधानसभा के सदस्य बनते रहे हैं।

एक अपवाद है कि वर्ष 1977 में आपात काल के बाद हुए चुनाव में यहां से राजा आनंद चंद बतौर निर्दलीय विधानसभा पहुंचे तब इस चुनाव में उनके खिलाफ किसी भी बड़े राजनीतिक दल ने अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारा था। पिछले विधानसभा के चुनाव में यहां से कांग्रेस के टिकट पर बंबर ठाकुर चुने गए थे, उन्होंने भाजपा के सुरेश चंदेल को 5141 मतों से हराया था। इससे पहले बंबर ठाकुर बतौर निर्दलीय भी चुनाव लड़ चुके हैं। इस चुनाव में बंबर ठाकुर फिर से कांग्रेस प्रत्याशी हैं तो उनका मुकाबला भाजपा के सुभाष ठाकुर से है। जहां कांग्रेस भाजपा प्रत्याशी पर सीधा हमला करने की जगह कद्दावर नेता जेपी नड्डा को घेरने की नीति अपना रही है वहीं भाजपा निवर्तमान विधायक को उनके पांच साल के कार्यकाल का हिसाब मांग कर कठघरे में खड़ा कर रही है।

गौरतलब है कि विधायक बंबर ठाकुर के खिलाफ भाजपा के अलावा उनकी अपनी ही पार्टी के लोगों ने भी कई आरोप लगाए थे। भाजपा ने अपने भ्रष्टाचार मिटाओ हिमाचल बचाओ अभियान का श्रीगण्ोश भी फरवरी महीने में बिलासपुर से ही किया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने तब बिलासपुर को नशे का केंद्र बताया था तथा आरोप लगाया था कि यहां सब कुछ सत्ता के संरक्षण में फलफूल रहा है । सुभाष ठाकुर केंद्र सरकार की बिलासपुर को बड़ी सौगात एम्स मिलने के लिए जहां जेपी नड्डा व प्रधानमंत्री का आभार जता रहे हैं वहीं इससे होने वाले लाभ को भी जगह-जगह जा कर लोगों को बता रहे हैं।

जिले के चारों विधानसभा हलकों में मुकाबले रोचक हो रहे हैं। पुनर्सीमांकन के बाद गेहड़वीं का नाम झंडूता हो गया तो कोट कहलूर हल्का श्री नयना देवी जी बन गया। इस चुनाव में फिर से श्री नयना देवी में परंपरागत प्रतिद्वंदी कांग्रेस के रामलाल ठाकुर भाजपा के उपाध्यक्ष एवं विधायक रणधीर शर्मा के सामने हैं । पिछले दो चुनावों से रणधीर बाजी मारते रहे हैं। झंडूता में भाजपा ने इस हलके से पांच बार विधायक चुने गए रिखी राम कौंडल का टिकट काट कर सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी जीत राम कटवाल पर भरोसा जताया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के बीरू राम किशोर से होगा। घुमारवीं चुनाव क्षेत्र भी चर्चा में है। यहां लगातार तीसरी बार विधायक बनने के लिए राजेश धर्माणी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यहां उनका सामना भाजपा के राजेंद्र गर्ग से होगा। धर्माणी जहां पिछले दस साल में क्षेत्र में हुए विकास के दम पर मैदान में हैं, वहीं भाजपा प्रत्याशी उनकी कमियां निकाल कर लोगों को बेहतर विकल्प देने का भरोसा दिला रहे हैं।

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