भारत और बांग्लादेश में प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या में हो रहा तेजी से इजाफा, दिल-फेफड़े ही नहीं, हड्डियों हो रही हैं कमजोर

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल फेफड़े, दिल और रक्त संचार प्रणाली को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि हड्डियों पर भी इसका खतरनाक असर पड़ रहा है। जिसकी वजह से आॅस्टियोपोरोसिस बीमारी का खतरा लगातार बढ़ रहा है।  हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ अतुल मिश्रा ने बताया कि नवीनतम शोध से यह साबित हो चुका है कि वायु प्रदूषण टिशू स्पेसिफिक इंफ्लामेशन को बढ़ाता है। आर्थराइटिस और क्रोनिक आॅब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी की वजह से बोन मैरो से काफी संख्या में प्रतिरक्षा कोशिकाएं निकलने लगती हैं। अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि वायु प्रदूषण की वजह से आॅस्टियोपोरोसिस की बीमारी लोगों में बढ़ रही है।

प्रदूषित वायु वाले वातावरण में रहने से हृदय रोग का भी खतरा बढ़ता है। वायु प्रदूषण की वजह से 2015 में दुनिया भर में कुल 90 लाख मौतें हुई, जिनमें से 25 लाख भारत में हुर्इं। सबसे खास बात यह है कि भारत और बांग्लादेश में प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अस्थमा व ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी बीमारियों के अलावा फेफड़े के कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए भी प्रदूषित वायु के लगातार संपर्क को जिम्मेदार माना जाता है। सोमवार को प्रदूषण विभाग की ओर से जारी वायु गुणवत्ता सूचंकाक (एक्यूआइ) सेक्टर-125 में पीएम-2.5 का स्तर 353 और पीएम-10 का स्तर 273 मापा गया। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले दो-तीन दिनों में प्रदूषण का स्तर स्थिर रहेगा। उसके बाद इसमें कमी आने के आसार हैं।

 

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