अक्कु यादव हत्याकांड: कोर्ट का गेट तोड़ 200 महिलाओं ने आंख-मुंह में भर दिए थे पत्थर और लाल मिर्च

इतिहास में ऐसी कई सीरियल किलिंग की घटनाएं हुई हैं जिनके बारे में जानकर आज भी लोग सिहर जाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही सीरियल किलर के बारे में बता रहे हैं जिसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी। हम बात कर रहे हैं सीरियल किलर भारत कालीचरन उर्फ अक्कु यादव की। यह सीरियल किलर महिलाओं को अपना शिकार बनाता था। यह पहले महिलाओं का रेप करता था और बाद में चाकू से गोद-गोदकर बड़ी बेहरमी से उनकी हत्या कर देता था। आज हम आपको जिस सीरियल किलर अक्कु यादव के बारे में बता रहे हैं उसकी मौत ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। करीब 200 महिलाओं ने कोर्ट का दरवाजा तोड़कर इस सीरियल किलर को भयानक मौत दी थी।

दरअसल भारत कालीचरण उर्फ अक्कु यादव ने करीब 40 से ज्यादा महिलाओं को अपना शिकार बनाया था। वह महिलाओं का रेप करने के बाद उन्हें चाकू से मार देता था। महिलाओं के साथ लगातार होने वाली इन वारदातों की वजह से नागपुर के कस्तुरबानागर में करीब 10 साल तक दहशत का माहौल रहा था। अक्कु यादव के खिलाफ करीब 25 अपराधिक मामले दर्ज भी हुए थे।

13 अगस्त 2004 को जब अक्कु यादव को पुलिस कोर्ट में पेश करने के लिए लाई तो करीब 200 महिलाओं ने उसकी जान ले ली। पुलिस अक्कु यादव को दोपहर के समय नागपुर जिला सेशन कोर्ट के रूम नंबर 7 में लेकर पहुंची थी। तभी भारी भीड़ कोर्ट रूम का दरवाजा तोड़कर उस कमरे में घुस गई। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उस भीड़ में कुछ पुरुषों के साथ करीब 200 महिलाएं थीं।

बताया जाता है कि जिस वक्त पुलिस सीरियल किलर अक्कु को कोर्ट रूम में ला रही थी तो उसने एक रेप पीड़िता को वेश्या कह दिया था। इसके बाद भीड़ ने आपा खो दिया और अक्कु को मारने के लिए कोर्ट का दरवाजा भी तोड़ दिया। महिलाओं ने अक्कु यादव की आंख और मुंह में लाल मिर्च के साथ कंकड़-पत्थर भी भर दिए थे। महिलाओं का गुस्सा यहां नहीं रूका था कहा जाता है कि एक महिला ने उसका लिंग भी काट दिया था।

इस सीरियल किलर की हत्या के बाद पुलिस ने करीब 100 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था और उनमें से 18 पर हत्या का केस चला था। हत्या के बाद महिलाओं ने बड़े गर्व से अपना गुनाह कबूल किया था। हालांकि अक्कु हत्या कांड में पांच महिला आरोपियों के साथ 18 को नागपुर जिला व सत्र न्यायालय ने निर्दोष घोषित कर बरी किया कर दिया है। जिला व सत्र के जज वी.टी. सूर्यवंशी की अदालत ने 18 आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत न मिलने की वजह से बरी किया था

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