Video: अवैध संबंध के शक में भीड़ द्वारा महिला के सरेआम कपड़े फाड़ कर की गई पिटाई, बदसलूकी और गाली-गलौज
त्रिपुरा के अगरतला में भीड़ का क्रूर चेहरा सामने आया है। यहां भीड़ ने एक महिला की सरेराह जमकर पिटाई कर दी। भीड़ ने सरेराह महिला के कपड़े फाड़े और फिर उसकी जमकर पिटाई की गई। महिला भीड़ से रहम की गुहार लगाती रही लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। जानकारी के मुताबिक महिला पर अवैध संबंध रखने का आरोप लगाकर उसकी पिटाई की गई। महिला से सरेआम बदसलूकी, गाली-गलौज और हिंसा की गई।
महिला के साथ इस बदसलूकी का एक वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में नजर आ रहा है कि भीड़ महिला की पिटाई कर रही है। इसमें यह भी नजर आ रहा है कि कुछ महिलाएं भी वहां मौजूद हैं, जो बजाए इसके की इस महिला की रक्षा करें वो भी इस लाचार महिला की पिटाई कर रही हैं। वीडियो के आधार पर ही 16 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। हालांकि खबर लिखे जाने तक किसी भी आरोपी के गिरफ्तारी की खबर नहीं मिली है।
#BREAKING Agartala: Shocking moral policing on cam, angry mob thrashes woman suspected of illicit relations, woman disrobed and assaulted | TIMES NOW’s @preetiddahiya takes you through the details #TripuraMoralBrigade pic.twitter.com/hR7y1XsUg6
— TIMES NOW (@TimesNow) May 11, 2018
इस वीडियो के सामने आने के बाद त्रिपुरा में कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नई सरकार बनी है। राज्य के लोगों को नई सरकार और राज्य के युवा मुख्यमंत्री बिप्लब देब से कई सारी उम्मीदें हैं। लेकिन दिन दहाड़े महिला के साथ हुई इस शर्मनाक घटना के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर जिस वक्त यह सबकुछ हुआ उस वक्त पुलिस कहां थी?
राज्य के नए मुख्यमंत्री बिप्लब देब जितना अपने कार्यों को लेकर चर्चे में नहीं है उससे कहीं ज्यादा चर्चा उनके अनरगल बयानों की हो रही है। बिप्लब देब हाल ही में अपने एक और बयान को लेकर चर्चे में हैं। अब बिप्लब देब ने रबिंद्रनाथ टैगोर की जयंती के मौके पर कह दिया कि रबिंद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध जताते हुए अपना नोबेल पुरस्कार वापस कर दिया था। लेकिन बिप्लब देब के इस बयान पर विवाद हो गया है। सोशल मीडिया पर लोग राज्य के सीएम के इस बयान की खूब मजाक उड़ा रहे हैं। दरअसल रबिंद्रनाथ टैगोर ने जालियावाला बाग नरसंहार के विरोध में साल 1919 में ब्रिटेन सरकार से मिली नाइटहुड की उपाधि वापस की थी।