अन्ना हजारे ने 7वें दिन खत्म किया अनशन, मिलने पहुंचे थे केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री और महाराष्ट्र सीएम
गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी फसल की उचित कीमत, लोकपाल की नियुक्ति और चुनाव प्रक्रिया में सुधार की मांगों के लिए छह महीने का समय मांगने के बाद गुरुवार को अपना बेमियादी अनशन खत्म कर दिया। हजारे ने कहा, “सरकार फसल की कीमतों की मांगों और केंद्र में लोकायुक्त तथा राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांगों के मामले में जल्द से जल्द कार्यवाही करने पर राजी हो गई है।” हजारे ने कहा कि उन्हें नए चुनाव सुधार और देश में कृषि संकट के मुद्दे पर एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के संबंध में आश्वासन दिया गया है। उन्होंने कहा, “सरकार जनता के लिए बनी है और उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह अपनी जनता के लिए सर्वश्रेष्ठ करे।”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र शेखावत ने गुरुवार शाम अन्ना हजारे से मुलाकात कर केंद्र सरकार द्वारा उनकी मागें स्वीकार कर लिए जाने की सूचना दी। बीते शुक्रवार, 23 मार्च को अन्ना हजारे सशक्त लोकपाल व किसानों को फसलों के वाजिब दाम देने सहित अपनी मांगों को लेकर रामलीला मैदान में कई राज्यों से आए किसानों के साथ उपवास पर बैठे थे। इससे पहले उन्होंने साल 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था, जिसे देशव्यापी समर्थन मिला था और आम आदमी पार्टी ने जन्म लिया था।
अन्ना के सहयोगी दत्ता अवारी ने इस बारे में कहा कि अनशन के वक्त अन्ना का वजन पांच किलो घट गया। उनके रक्तचाप में भी गिरावट देखने को मिली थी। अन्ना ने इससे पहले ट्वीट किया था। लिखा था, “मैं देख रहा हूं कि लोग मेरी आलोचना कर रहे है। मुझ पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। मुझे बदनाम करने के प्रयास कर रहे हैं। मैंने जिंदगी में बहुत आलोचना झेली है। मैं इससे कभी भी डरा नहीं। न ही दुखी हुआ। मुझे देश के अच्छे के अलावा कुछ भी नहीं चाहिए। न किसी से वोट और न ही कुछ और। दुख सिर्फ इतना है कि आलोचक झूठ बोलते हैं। फिर भी भगवान उनका भला करे।”
सरकार ने डेढ़ गुना न्यूनत समर्थन मूल्य की बात पर हामी भरी है। अन्ना के अनुसार, सरकार ने उनकी फसल पर डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग मान ली है। जो किसान कर्ज लेकर खेती करता है, उसका नुकसान होने पर सरकार उस पर 50 फीसदी अधिक भुगतान करेगी। बुधवार (28 मार्च) को इससे पहले तबीतय गड़बड़ाने के कारण अन्ना को बोलने में दिक्कत हुई थी। वह इसी वजह से समर्थकों को संबोधित नही कर सके थे। डॉक्टरों की टीम ने अन्ना को आराम कक्ष में रहने की सलाह दी थी।