अनुशासनहीनता के लिए भारतीय सेना ने तोड़े रंगरूटों के फोन, चीनी मीडिया ने बदनाम करने के लिए वायरल किया वीडियो
सेना की कुछ रेजीमेंटल सेंटर्स में रंगरूटों के मोबाइल तोड़े गए हैं। एेसा उनके बीच यह संदेश पहुंचाने के लिए किया गया है कि आर्मी के ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान किसी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। टीएनएन के मुताबिक यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि कुछ दिनों पहले एेसे ही एक मामले का वीडियो वायरल हो गया था। भारतीय सेना को बदनाम करने के लिए यह वीडियो शुक्रवार को चीन के ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क की वेबसाइट पर भी अपलोड हुआ था। इसमें दिखाया गया कि मध्य प्रदेश के सागर के महर रेजीमेंटल सेंटर में 50 रंगरूटों के मोबाइल फोन को उन्हीं के सामने पत्थरों और चट्टानों पर रखकर तोड़ दिया गया। यह वीडियो सितंबर 2015 में शूट किया गया था। इस पर सफाई देते हुए सेना के अफसरों ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया, क्योंकि रंगरूट बार-बार आदेशों का उल्लंघन करते हैं। फिजिकल ट्रेनिंग, ड्रिल और वेपन-ट्रेनिंग क्लासेज के दौरान मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।
एक वरिष्ठ अफसर ने कहा कि सेना में अनुशासन सबसे अहम है। रंगरूटों को सबसे पहले चेतावनी दी जाती है। अगर वह फिर भी नियम तोड़ते हैं तो उनका फोन जब्त कर लिया जाता है। लेकिन अगर फिर वह नहीं मानते तो स्पष्ट संदेश देने के लिए उनका फोन नष्ट कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सेना अपने सैनिकों को जंग के लिए तैयार करती है। अगर उन्हें शांति के दौरान अनुशासन तोड़ने की इजाजत दी जाएगी तो वह एेसा जंग के समय भी कर सकते हैं।
एक अन्य अफसर ने कहा कि महर रेजीमेंटल सेंटर में रंगरूटों को अपना फोन ‘पलटन हवलदार’ के पास जमा कराना होता है। जब उन्हें जरूरत होती है, वह इसे ले लेते हैं। सेंटर ने कुछ एसटीडी फोन भी लगाए हुए हैं, ताकि रंगरूट परिवार से बात कर सकें। सेना की अग्रिम चौकियों पर मोबाइल फोन का अनअधिकृत तरीके से इस्तेमाल सेना के चिंता का विषय बना हुआ है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई में 19 मद्रास रेजीमेंट के काठी रेसन नाम के जवान ने मेजर शिखर थापा को सिर्फ इसलिए गोली मार दी थी, क्योंकि उसे जम्मू-कश्मीर के लाइन अॉफ कंट्रोल की चौकी पर मोबाइल इस्तेमाल करने के लिए सजा दी गई थी।