आर्मी चीफ ने खोला राज, रेलवे के ब्रिज बनाने के लिए क्यों हुए तैयार
भारतीय सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने बड़े राज से पर्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि मुंबई में उन्होंने सेना को तीन रेलवे ब्रिज बनाने के निर्देश इसलिए दिए थे, ताकि सेना की छवि पर अच्छा असर पड़े। वह यह बताना चाहते थे कि सेना संकट के समय में लोगों की मदद के लिए हमेशा खड़ी रहती है। वह खर्चीले विज्ञापनों के बजाय लोगों की मदद करके उनके बीच सेना के प्रति जागरूकता फैलाना चाहते थे। सेना प्रमुख ने एक बिजनेस अखबार से कहा कि ‘नो योर आर्मी’ (अपनी सेना को जानें) की थीम के तहत सेना हर शहर में कैंप लगाती है। लोग उसके जरिए सेना को समझते हैं और उसकी दक्षता-क्षमता से वाकिफ होते हैं। रावत विपक्षी पार्टियों और पूर्व सैनिकों द्वारा की गई आलोचना से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि सेना को जंग के लिए तैयार किया जाए। उन्हें नागरिक सुविधाओं से जुड़ी एजेंसियों के काम करने में नहीं लगाया जाना चाहिए।
सेना को इस साल जनवरी तक तीन रेलवे ओवरब्रिजों का काम निपटाना था। उसमें से एक मुंबई के एलफिंस्टन रोड स्टेशन पर भी था। सितंबर में यहां भगदड़ मच गई थी, जिसमें कुल 23 लोग मरे थे। रावत के मुताबिक, सेना की जो इंजीनियरिंग यूनिट रेलवे ओवरब्रिज बनाएगी उसे ट्रेनिंग से वंचित नहीं रखा जाएगा। जंग में कॉम्बैट इंजीनियर यूनिट का काम सेना की टुकड़ियों के लिए ब्रिज बनाना होता है। पुणे में मुला और मुला और मुथा नदी पर ब्रिज बनाकर ट्रेनिंग के बजाय वे मुंबई में ब्रिज बनाकर प्रैक्टिस करेंगे। ऐसा करने में भी उन्हें पुणे वाली ट्रेनिंग जितनी मेहनत करनी होगी।
उन्होंने आगे बताया कि अगर हम अपने दफ्तरों और जवानों (सैनिकों) को कम उम्र में सेवानिवृत्त होने के बाद बाहर नौकरी करते देखना चाहते हैं, तो रेलवे में पूर्व सैनिकों की एक या दो बटालियन लगाकर ब्रिज बनाने में लगाने से अच्छा क्या हो सकता है? रावत की मानें, तो उन्होंने सेना के खर्चीले विज्ञापनों पर रोक लगा दी है, जिसमें युवाओं से उसमें भर्ती होने की अपील की जाती है। उन्हें इसकी कोई जरूरत नहीं है। वह लोगों की सहायता कर के भी सेना के प्रति उनमें जागरूकता फैला सकते हैं। सेना हर प्राकृतिक आपदा में सबसे पहले मदद करती है।