Atal Bihari Vajpayee: अटल-आडवाणी की जोड़ी में मुरली मनोहर जोशी को क्यों नहीं घुसाते? इस पर वाजपेयी ने दिया था ऐसा जवाब
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संस्थापक सदस्यों में शामिल लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी आज भले भाजपा के ‘शक्तिहीन’ मार्गदर्शक मंडल में शामिल हों लेकिन भाजपा की राजनीति में एक वक्त ऐसा भी था जब अटल बिहारी वाजपेयी के साथ इनकी तिकड़ी के बिना पार्टी के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। तीन अलग-अलग रास्तों से राजनीति में आए इन तीनों नेताओं ने देश की सबसे शक्तिशाली कांग्रेस पार्टी के विकल्प के रूप में एक ऐसे दल की नींव रखी जिसने आज देश भर में कांग्रेस के वर्चस्व को लगभग धराशायी कर दिया है। साल 2014 में केंद्र में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी भाजपा ने दो सांसदों के साथ अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रास्ते राजनीति में आने वाले अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी की जोड़ी को लेकर एक दौर में खूब चर्चा होती थी। उन पर आरोप लगे थे कि अटल-आडवाणी की जोड़ी को तिकड़ी में नहीं बदलने दिया जा रहा है बल्कि इस जोड़ी को ही ज्यादा प्रमोट किया जा रहा है। इसमें मुरली मनोहर जोशी को इग्नोर किया जा रहा है। एक न्यूज चैनल के पुराने इंटरव्यू में अटल बिहारी से जब इसे लेकर एंकर ने सवाल किया तो अटल ने बड़ा दिलचस्प जवाब दिया। एंकर ने पूछा कि लोगों के मन में यह रहता है कि अटल-आडवाणी की जोड़ी को तिकड़ी में नहीं बदलने दिया जाता है? ऐसा क्यों?
इस सवाल के जवाब में अटल कहते हैं कि तीन नाम जोड़ने के साथ नारा ठीक नहीं बनता है। नारा लगाने में कठिनाई होती है इसलिए नहीं जोड़ा जाता जोशी जी को। अटल आगे कहते हैं कि जोशी जी त्रिमूर्ति में तो हैं ही। इस पर एंकर ने तुरंत अगला सवाल दागा कि मतलब त्रिमूर्ति बन गई है, आप मानते हैं? जवाब में हंसते हुए अटल कहते हैं कि त्रिमूर्ति है। आप लोगों (मीडिया) ने बना रखी है। गौरतलब है कि 80 के दशक के अंत में भाजपा जब राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से उभर रही थी तब अटल-आडवाणी-मुरली मनोहर को लेकर एक नारा काफी लोकप्रिय था। यह नारा था – बीजेपी की तीन धरोहर- अटल, आडवाणी, मुरली मनोहर। फिलहाल, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में हैं। भाजपा के नए दौर में ये दोनों शीर्ष नेता पार्टी के लिए निर्णय लेने वाली दो अहम समितियों- संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति से बाहर हैं।