Atal Bihari Vajpayee: एक हार जिसने रुला दिया था वाजपेयी को, एक हार ऐसी भी जिस पर लगाए थे ठहाके
Atal Bihari Vajpayee Health News Live Update: अटल बिहारी वाजपेयी अपने जीवन में 3 बार चुनाव हारे थे। लखनऊ लोकसभा सीट से अपने पहले ही चुनाव में हारने के अलावा वह ग्वालियर और बलरामपुर सीट से एक-एक बार चुनाव नहीं जीत पाए थे। इन तीनों हार के अलावा अटल को एक ऐसी राजनीतिक हार मिली थी जिस पर वह अपने आंसू नहीं रोक पाए थे। साथ ही एक अन्य राजनीतिक हार पर खिलखिलाकर हंस भी पड़े थे। आइए, जानते हैं कि किस्सा क्या है?
साल 1951 में जनसंघ के कद्दवार नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सचिव का प्रभार देकर अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जनसंघ में भेजा गया था। यहीं से उनकी राजनीतिक पारी शुरू होती है। साल 1953 में लखनऊ से सांसद विजयलक्ष्मी पंडित को नेहरू सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का राजदूत नियुक्त कर दिया था। खाली हुई सीट पर हुए उपचुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के टिकट पर पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और चुनाव हार गए। कांग्रेस के एसआर नेहरू सांसद बने।
साल 1957 में अटल तीन सीटों- मथुरा, लखनऊ और बलरामपुर से चुनाव लड़े। इनमें मथुरा और लखनऊ की सीट हार गए लेकिन बलरामपुर से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सुभद्रा जोशी से अटल को 2000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। यह वाजपेयी की दूसरी हार थी जिसके बाद वह राज्यसभा के लिए नामित किए गए थे। 1984 के चुनावों में भाजपा की जीती हुई 2 सीटों में भी वाजपेयी शामिल नहीं थे। ग्वालियर की अपनी सीट से उन्हें कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने बड़े अंतर से हराया था। लखनऊ, बलरामपुर और ग्वालियर की इन तीन हार के अलावा उनकी दो ऐसी हार भी थी जिसकी चर्चा के बिना अटल की कहानी अधूरी है।
साल 1999 में जयललिता की अन्नाद्रमुक ने अटल सरकार से अपना समर्थन खींच लिया था। सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। अटल सरकार महज 1 वोट से विश्वासमत हार गई। इस हार के बाद अटल रो पड़े थे और अपने जब उनके सहयोगी सामने दिखे तो रुंधे गले से बोले – “हम सिर्फ एक वोट से हार गए।” हालांकि, अगले लोकसभा चुनावों में फिर से एनडीए की सरकार बनी और अटल बिहारी प्रधानमंत्री बने। 5 सालों के सकारात्मक शासन के बाद ‘ओवरकॉन्फिडेंस’ में अटल सरकार ने जल्दी चुनाव कराने का फैसला कर लिया। समयपूर्व हुए चुनाव में एनडीए को करारी हार मिली। इस हार के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से अपने सामान समेटते अटल से जब ब्यूरोक्रेट बृजेश मिश्रा ने पूछा कि ये क्या हो गया? तब अटल खिलखिलाकर हंस पड़े और बोले – “ये तो उनको (कांग्रेस को) भी नहीं पता कि ये क्या हो गया।”